रासायनिक पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से विलुप्त हो रही गौरैया

घरों में चीं चीं कर चहकने वाली गौरैया अब खोजने पर भी नहीं दिखाई पड़ती हैं। छोटे आकार के इस सुंदर पक्षी का कभी इंसानों के घरों में बसेरा हुआ करता था लेकिन बदलते परिवेश में इनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Mar 2020 07:52 PM (IST) Updated:Thu, 19 Mar 2020 07:52 PM (IST)
रासायनिक पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से विलुप्त हो रही गौरैया
रासायनिक पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से विलुप्त हो रही गौरैया

विश्व गौरया दिवस

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- भूल गया जिम्मेदार महकमा, नहीं याद आए सुंदर पक्षी

- अनुकूल वातावरण तैयार करना हमारी जिम्मेदारी : विशेषज्ञ

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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : घरों में चीं-चीं कर चहकने वाली गौरैया अब खोजने पर भी नहीं दिखाई पड़ती हैं। छोटे आकार के इस सुंदर पक्षी का कभी इंसानों के घरों में बसेरा हुआ करता था लेकिन बदलते परिवेश में इनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो सरंक्षण के प्रति गंभीर प्रयास नहीं किया गया तो गौरैया सपना हो कर रह जाएंगी।

घरों में फुदकने वाला यह पक्षी जब अपने नन्हें- नन्हें बच्चों को दाना खिलाती थी तो बच्चे बड़े प्यार से निहारते थे। इनके रहने से घरों में जहां चहल-पहल रहा करती थी वहीं छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े व घर में इधर उधर बिखरे अनाज के दाने इनका भोजन हुआ करते थे। गौरैया विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई हैं। पक्षी विज्ञानियों के अनुसार गौरैया की आबादी में 70 से 80 फीसद की कमी दर्ज की गई है जो गंभीर चिता का विषय है। लोगों का मानना है कि इनके सरंक्षण के लिए उचित प्रयास नहीं किया गया तो यह प्राणी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा। पर्यावरण व पक्षी विशेषज्ञ डा.कमाल अहमद सिद्दीकी का कहना है कि पक्के मकानों के निर्माण के बाद घोसलों के उचित स्थान की कमी, आवश्यक भोजन व जल का अभाव, तेजी हो रहे पर्यावरण क्षरण सहित गौरैया के लुप्त होने के कई कारण है। बताया कि गौरैया के बच्चों का प्रारंभिक भोजन कीड़े मकोड़े होते हैं लेकिन आजकल खेतों से लेकर पेड़ पौधों तक रासायनिक पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग होता है। ऐसे में गौरैया को समुचित भोजन नहीं मिल पाता। यही कारण है कि तेजी से साथ गौरैया की आबादी में कमी आई है। विशेषज्ञों की माने तो टावरों का रेडिएशन भी इनके विलुप्त होने का एक कारण है।

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गौरैया दिवस को भूल गया विभाग

गौरैया के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मो. दिलावर जैसे लोगों के प्रयास से दुनियां भर में 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है। 2010 से गौरैया दिवस मनाया जाता रहा है। पिछले वर्ष वन विभाग की ओर से घोसला आदि का भी वितरण किया गया था। सरकार की ओर से भी गाइडलाइन जारी किया गया था। इस वर्ष गौरैया दिवस को लेकर महकमा भी गंभीर नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक इस तरह के कोई निर्देश शासन से प्राप्त नहीं हुए हैं।

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