गरीब बच्चों को नहीं मिल सका शिक्षा का अधिकार

मंच मिलते ही इस तरह से गरीबों के हित की बात करते हैं जैसे अब तक किसी ने गरीबों की आवाज को उठाया ही नहीं है। हकीकत यह है कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुए धीरे-धीरे 10 साल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 10:16 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 10:16 PM (IST)
गरीब बच्चों को नहीं मिल सका शिक्षा का अधिकार
गरीब बच्चों को नहीं मिल सका शिक्षा का अधिकार

जागरण संवाददाता,ज्ञानपुर(भदोही): मंच मिलते ही इस तरह से गरीबों के हित की बात करते हैं जैसे अब तक किसी ने गरीबों की आवाज को उठाया ही नहीं है। हकीकत यह है कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुए धीरे-धीरे 10 साल बीत गए लेकिन अभी तक गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाया। आलम यह है कि प्राइवेट स्कूलों पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी के चलते गरीब बच्चों का दाखिला अच्छे स्कूलों में नहीं हो पाता है।

विश्व के कुछ ही देशों में सभी बच्चों को अपनी क्षमताएं विकसित करने में सहायता के लिए मुफ्त और बच्चे पर केंद्रित तथा मित्रवत शिक्षा दोनों को सुनिश्चित करने का राष्ट्रीय प्रावधान मौजूद है। शासन ने वर्ष 2009 में छह से 14 साल के आयु वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया था। नियमानुसार निजी अथवा अच्छे विद्यालयों में गरीब बच्चों के दाखिला के लिए एक सीट निर्धारित किया गया है। धीरे-धीरे 10 साल बीत गए लेकिन अभी तक गरीबों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाया है। जिम्मेदार अधिकारी भी इसको लेकर अंजान बने रहे। निजी विद्यालयों पर इस कदर अधिकरी मेहरबान हैं कि कानून को प्रभावी नहीं करा पा रहे हैं। इसके चलते गरीब बच्चों का अच्छे स्कूलों में दाखिला नहीं हो पा रहा है। खास बात तो यह है कि स्थानीय प्रतिनिधि भी इस शिक्षा अधिकार कानून को लेकर अनभिज्ञ बने रहे है।

----------

क्या है शिक्षा अधिकार कानून

छह से 14 साल की उम्र के हर एक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86 वें संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाया गया है। सरकारी स्कूल में सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराएंगे और स्कूलों का प्रबंधन स्कूल प्रबंध समितियों द्वारा किया जाएगा। निजी स्कूल न्यूनतम 25 प्रतिशत बच्चों को बिना किसी शुल्क के नामांकित करना है। नियमों को ताक पर रखकर निजी स्कूलों में नामांकित नहीं कराया जा सका है।

chat bot
आपका साथी