48 घंटे का काम, 4 घंटे में तमाम

प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि विश्राम करना और विकास कार्यों की हकीकत की पड़ताल करना अकेले मुख्यमंत्री के लिए संभव नहीं है। इसी हकीकत की पड़ताल करने के लिए हर जिले में प्रभारी मंत्री और नोडल अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Jun 2019 06:13 PM (IST) Updated:Fri, 21 Jun 2019 06:13 PM (IST)
48 घंटे का काम, 4 घंटे में तमाम
48 घंटे का काम, 4 घंटे में तमाम

जागरण संवादाता, ज्ञानपुर (भदोही) : प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि विश्राम और विकास कार्यों की हकीकत की पड़ताल करना अकेले मुख्यमंत्री के लिए संभव नहीं है। इसी हकीकत की पड़ताल करने के लिए हर जिले में प्रभारी मंत्री और नोडल अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। गुजर गया तीन साल से अधिक का समय। कई बार प्रभारी मंत्री और नोडल अधिकारी आए और चले गए। पता नहीं भदोही जनपद की हकीकत कि रिपोर्ट सीएम को सौंपी भी गई या नहीं। विकास परियोजनाओं में कोई बदलाव न होना इस हकीकत को बयां कर रहा है कि अब तक सब कुछ कागजों में ही सिमटा रहा। उम्मीद जगी की अब कुछ बदलाव दिखेगा लेकिन उम्मीदों पर प्रशासनिक तुषारापात हो गया। 48 घंटे का भ्रमण कार्यक्रम नव नियुक्त नोडल अधिकारी हिमांशु कुमार महज चार घंटे में ही निबटा गए।

अधिकारियों की ओर से जारी सरकारी पत्रों पर गौर किया जाए तो प्रमुख सचिव स्टांप एवं खनिकर्म हिमांशु कुमार का दो दिन तक जिले में विकास कार्यों की समीक्षा, भौतिक सत्यापन, निर्माणाधीन परियोजनाओं का निरीक्षण और गांव में चौपाल लगाना तय था। निर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रमुख सचिव दोपहर 1.30 बजे गेस्ट हाउस पहुंचे थे। दोपहर दो से छह बजे तक निरीक्षण, विकास कार्यों की समीक्षा और चौपाल कार्यक्रम को पूरा कर लिए। रात्रि विश्राम तो किए लेकिन दूसरे दिन गेस्ट हाउस से निकले भी नहीं, और निकले तो सीधे लखनऊ के लिए। सवाल तब उठा जब जिले में रहने के बाद भी सीएम के शीर्ष प्राथमिकता में शामिल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भी नहीं पहुंचे। अधिकारी से लेकर प्रतिनिधि भी यही कहते रहे कि जहां प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री खुद योग में शामिल हो रहे हैं तो वहीं उनके दूत बनकर आए प्रमुख सचिव इससे शामिल क्यों नहीं हुए? शायद ही इसका जवाब किसी के पास होगा। नौ साल बाद भी जिला अस्पताल का निर्माण नहीं हो सका तो महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल चिकित्सकों की कमी पूरी नहीं हो सकी। यह तो बानगी भर है, इसके अलावा भी बड़ी संख्या में परियोजनों में लूट-घसोट हुआ तो तहसीलों में चक्कर लगाते काश्तकारों के तलवे घिस जा रहे हैं। अभी तक इसका निराकरण नहीं हो सका। नोडल अधिकारी जब जिले में आते हैं तो हर कोई यही समझता है कि अब विकास को गति मिलेगा लेकिन वह सब कागजों में ही सिमट कर रह जाता है। अपर जिलाधिकारी रामसिंह वर्मा ने बताया कि प्रमुख सचिव गुरुवार को ही समीक्षा, चौपाल और निरीक्षण कर चुके हैं। निरीक्षण आख्या आने के बाद उसका अनुपालन कराया जाएगा।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी