्रजला रहे पराली, अंजान बने अफसर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का स्पष्ट निर्देश है कि पराली एकदम न जलाएं। इसका अनुपालन न करने वालों पर जुर्माने और जेल का भी प्रावधान है इसके बाद भी गांवों में इस आदेश की खुलेआम अवहेलना हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Nov 2019 08:27 PM (IST) Updated:Sat, 30 Nov 2019 08:27 PM (IST)
्रजला रहे पराली, अंजान बने अफसर
्रजला रहे पराली, अंजान बने अफसर

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का स्पष्ट निर्देश है कि पराली एकदम न जलाएं। इसका अनुपालन न करने वालों पर जुर्माने और जेल का भी प्रावधान है, इसके बाद भी गांवों में इस आदेश की खुलेआम अवहेलना हो रही है। धान की कटाई के बाद खाली खेतों में पराली (फसल अवशेष) जलाया जा रहा है। इसके चलते उठ रहे धुआं के गुबार से हर किसी की सांसों में जहर घुलता दिखाई पड़ रहा है। किसानों की जरा सी नासमझी से कीट मित्र नष्ट हो रहे हैं और मिट्टी को उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती जा रही है।

ज्ञानपुर तहसील क्षेत्र के वेदपुर सहित अन्य गांवों में पराली धड़ल्ले के साथ जलाया जा रहा है। दरअसल, हार्वेस्टर से फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा खेत में खड़े डंठलों को फूंक दिया जा रहा है लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी की नजर इस ओर नहीं पड़ रही है। जानकारों का कहना है कि धान व अन्य फसलों के डंठल व अन्य अवशेष को खेतों में जला देने से पर्यावरण प्रदूषित तो होता ही है, मिट्टी में पाए जाने वाले मित्र कीट (केचुआ) आदि भी आग की जद में आने से नष्ट हो जाते हैं। मृदा में जीवाश्म का क्षरण होता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है। जिससे फसल की उत्पादन भी अवरूद्ध हो जाता है। जबकि यही अवशेष जोताई कराकर मिट्टी में मिला देने से उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।

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