प्यास बुझाने को नहीं मिल रहा हैंडपंप का पानी

बस्ती: एक तरफ जहां संपन्न लोग बोतल बंद पानी से प्यास बुझा रहे हैं वहीं अधिकांश लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Apr 2018 11:32 PM (IST) Updated:Wed, 04 Apr 2018 11:32 PM (IST)
प्यास बुझाने को नहीं मिल रहा हैंडपंप का पानी
प्यास बुझाने को नहीं मिल रहा हैंडपंप का पानी

बस्ती: एक तरफ जहां संपन्न लोग बोतल बंद पानी से प्यास बुझा रहे हैं वहीं अधिकांश लोगों को हैंडपंप का भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। बड़ी संख्या में खराब पड़े इंडिया मार्क हैंडपंप को ठीक कराने की ¨चता किसी को नहीं है। जिम्मेदार विभाग इंडिया मार्क हैंडपंप को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की बता कर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं। शिकायतों पर भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जल निगम द्वारा जगह-जगह इंडिया मार्क हैंडपंप लगवाए गए हैं। इनकी देखभाल का पूरा दारोमदार अब ग्राम पंचायतों को सौंप दिया गया है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद से गांवों में पेयजल संकट और बढ़ गया है। कागजों में हर महीने हैंडपंप री-बोर होते हैं, चौकी का निर्माण किया जाता है। हकीकत इससे अलग है। बस्ती-डुमरियागंज मार्ग पर ब्लाक मुख्यालय जाने वाली सड़क के मोड़ पर राम ललित चौधरी के मकान के सामने लगा हैंडपंप डेढ़ साल से खराब है। यहीं पर टैक्सी स्टैंड भी है, जहां लोग बस्ती या डुमरियागंज की तरफ जाने वाले वाहनों का इंतजार करते हैं। प्यास लगने पर लोगों को भटकना पड़ता है। कृपाशंकर श्रीवास्तव, संतोष कुमार अग्रहरि, दिनेश दुबे, राम सजीवन चौधरी, देवेंद्र कुमार शुक्ल का कहना है कि जब यह हाल ब्लाक मुख्यालय के हैंडपंप का है तो गांवों की स्थिति क्या होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। गांवों के अधिकांश हैंडपंप या तो खराब पड़े हैं या उनका पानी प्रदूषित हो चुका है। शिकायतों के बाद भी इन हैंडपंपों को ठीक नहीं कराया जा रहा है। खंड विकास अधिकारी मंजू त्रिवेदी ने बताया कि सभी प्रधानों व सचिवों को खराब हैंडपंपों को दुरुस्त कराने के निर्देश दिए गए हैं।

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