स्टांप का 45 करोड़ दबाए बैठी है टोल कंपनी

पहली बार वर्ष 2013 में बस्ती में पकड़ी गई थी स्टांप चोरी डीएम ने अनुबंध की रकम के अनुसार मांगी थी स्टांप ड्यूटी

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Dec 2019 11:36 PM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 11:36 PM (IST)
स्टांप का 45 करोड़ दबाए बैठी है टोल कंपनी
स्टांप का 45 करोड़ दबाए बैठी है टोल कंपनी

बस्ती : सौ रुपये के अनुबंध पर करोड़ों का कारोबार। चौंकिए नहीं, यह मामला फोरलेन पर टोल टैक्स की वसूली करने वाली कंपनी से जुड़ा है। बस्ती के चौकड़ी और मड़वानगर में वाहनों से टोल प्लाजा पर वसूली करने वाली दो कंपनियों से 45 करोड़ 11 लाख स्टांप चोरी की वसूली की कार्रवाई शुरू हो गई है।

वर्ष 2012 में टोल टैक्स वसूली का कार्य राजस्थान की शिवा कारपोरेशन नामक कंपनी को मिला था। इसके खिलाफ दो करोड़ 11 लाख स्टांप चोरी का मामला दर्ज किया गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल कुमार दमेले ने एआइजी स्टांप की रिपोर्ट को सही मानते हुए टोल कंपनी की दलीलों को खारिज कर दिया। वर्ष 2013 में अयोध्या गोरखपुर एसएमएस टोल्स प्राइवेट लिमिटेड एनएचएआई से टोल वसूली का 9 साल का अनुबंध पत्र लेकर आई। जांच-पड़ताल के बाद इस कंपनी को 43 करोड़ स्टांप देयता की नोटिस जारी की गई। न देने पर वाद दायर किया। इसे भी सही ठहराते हुए उक्त स्टांप की रकम वसूल करने का आदेश पारित किया गया। बस्ती में इस तरह का यह मामला था। यूं खुला था मामला

टोल टैक्स वसूली को लेकर वर्ष 2013 में अधिकारियों से आए दिन जिलास्तरीय अधिकारियों में वाद विवाद होता रहा। कमियों ढूंढने में जुटे अफसरों ने ही टोल कंपनी का पूरा ब्योरा जुटाया। सौ रुपये के स्टांप पर करोड़ों के कारोबार का मामला तत्कालीन डीएम के पास पहुंचा तो वह भी हैरत में पड़ गए। एआईजी स्टांप की रिपोर्ट पर नोटिस जारी की गई। डीएम ने इस मामले में किसी की नहीं । स्टांप चोरी अदा करने को लेकर आदेश पारित हुआ तो टोल कंपनी हाईकोर्ट चली गई। मामला शासन तक पहुंचा तो पूरे प्रदेश में इसकी जांच पड़ताल शुरू हो गई। अरबों रुपये राजस्व चोरी के इस मामले में नीति बनाने को लेकर उस फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दिया गया था।

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