शौचालय बने नहीं, फिर भी ओडीएफ हो गए गांव

बस्ती: ओडीएफ का मतलब है खुले से शौच मुक्त गांव। इसकी शुरुआत स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो अक्टूबर 2014

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jun 2017 11:46 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jun 2017 11:46 PM (IST)
शौचालय बने नहीं, फिर भी ओडीएफ हो गए गांव
शौचालय बने नहीं, फिर भी ओडीएफ हो गए गांव

बस्ती: ओडीएफ का मतलब है खुले से शौच मुक्त गांव। इसकी शुरुआत स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो अक्टूबर 2014 को की गई थी। इस योजना के अंतर्गत अक्टूबर 2019 तक सभी गांवों को खुले से शौचमुक्त किया जाना है। बस्ती की 1235 ग्राम पंचायतों में 3100 से अधिक गांव हैं। जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 42 गांवों को ओडीएफ घोषित तो कर दिया गया, लेकिन इन गांवों में अब भी आधे अधूरे ही शौचालय बने हैं। वाहवाही लूटने के लिए अफसरों ने छोटे (कम आबादी वाले) गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के अभियान में शामिल कर लिया, लेकिन हकीकत यह है कि वहां भी शत-प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं है।

ओडीएफ घोषित किए गए गांवों की हकीकत जानने के लिए जागरण टीम ने जब दो गांवों का दौरा किया तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। इनमें एक गांव हांसापार गैर चिरागी अर्थात बिना आबादी वाला मिला, जबकि दूसरे गांव गागरगाड़ में शौचालय आधे-अधूरे ही बन पाए गए। इन गांवों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए हर लाभार्थी को बारह हजार रुपये दिए जा चुके हैं, लेकिन इतनी धनराशि में भी अधिकतर शौचालय बन नहीं सके। ये दोनों गांव उन 42 गांवों की सूची में हैं, जिन्हें खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। गागरगाड़ छोटा गांव है, जिसमें सिर्फ बीस घर हैं। फिर भी यहां 28 लाभार्थियों के नाम से शौचालय आवंटित किए गए हैं। सरकारी कागजों में यहां के लोग इन शौचालयों का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन मौके की तस्वीर कुछ अलग ही गवाही दे रही है। शौचालय आधे-अधूरे बने होने के कारण पुरुष एवं महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।

गागरगाड़ में इन्द्रावती पत्नी चंद्रिका ,सुशीला पत्नी राम पियारे, सुभद्रा पत्नी गौरीशंकर, सीमा पत्नी धर्मेद्र, लखपाती पत्नी हीरा, श्रीमती पत्नी राम सुमेर, जगदम्बिका पत्नी राम शब्द, रीना पत्नी सोनू ऊषा पत्नी तुलसीराम, कुमकुम भारती पत्नी महेंद्र, परमशीला पत्नी फूलचंद्र, शोहरता पत्नी रामनाथ, राम पती पत्नी गुरुशरन के घरों के सामने शौचालयों का निर्माण आधा-अधूरा ही हुआ है। प्रधान अशरफा देवी के प्रतिनिधि ने तर्क दिया कि बालू का दाम अधिक होने से शौचालय का काम रुका है। जल्द ही यह बनकर तैयार हो जाएगा।

गैर चिरागी गांव भी ओडीएफ घोषित: बनकटी विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत रौतापार से गैर चिरागी गांव हांसापार जुड़ा है। यहां आबादी नहीं है, लेकिन सीवान में सड़क के किनारे दो तीन साल पहले कुछ दुकानें खुल गर्इं तथा यहां रहने के लिए छह लोगों ने घर बना लिया। प्रधान के प्रस्ताव पर यहां बसे लोगों को भी शौचालय निर्माण के लिए धन दे दिया गया। प्रधान सूर्यनाथ चौधरी कहते हैं कि गैर चिरागी गांव कैसे ओडीएफ बना। यह ग्राम पंचायत अधिकारी ही बता सकते हैं।

ये है ओडीएफ घोषित गांव :

विक्रमजोत का मलूकपुर, सलूकपुर, भुआलपुर, बरखंडीजोत, पूरे आसरे, करनपुर, रमवापुर, भैसिया, कोतवालपुर, कुंआ गांव। कप्तानगंज का मरवटिया तिवारी, काशीपुर उर्फ भगवानपुर, सेमरा, ठुठवा, बनकटा। बस्ती सदर का लटेरा,भुवनी,हज्जामजोत,कल्यानपुर,हृदयीजोत, खंता। बनकटी का गागरगाड़,नडार, गौरा,सिहोरीजोत,हांसापार।

हर्रैया का महुलानी, भदावल कला। परशुरामुपर का जियनापुर, उल्लहा। रामनगर का दिलावल चक,परसाखुर्द, सदई डीह, पतरिया। बहादुरपुर का तिसाह,दुबौलिया का

जिवपुर,रुधौली का कपिया कला, गौर का शेखापुर,सल्टौआ गोपालपुर का कोईलरा,सांऊघाट का अरईल। कुदरहा का बैसिया खुर्द।

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ऐसे होता है एक गांव ओडीएफ:

कोई ग्राम पंचायत या एक गांव तब तक खुले में शौच से मुक्त नहीं माना जाता, जब तक गांव का एक-एक व्यक्ति शौचालय का प्रयोग न करने लगे। प्रधान के प्रस्ताव पर शौचालय निर्माण के लिए पात्रों का चयन किया जाता है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को ही शौचालय निर्माण के लिए सरकारी धन दिया जाता है। पात्रता में न आने वालों को स्वनिर्माण के लिए प्रेरित किया जाता है। शौचालय से संतृप्त होने की रिपोर्ट का सत्यापन जिला स्तर से गठित टीम करती है। लोग शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं या नहीं, इसकी निगरानी के लिए टीम गठित की जाती है।

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बस्ती जिले में 42 गांव ओडीएफ घोषित कर किए गए हैं। इन गांवों में निगरानी के लिए गठित टीमें मार्निंग फालोअप कर रही हैं। मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पहले कम आबादी वाले गांवों को लिया जा रहा है। गैर चिरागी गांव के ओडीएफ सूची में शामिल किए जाने की जानकारी नहीं है।

शिव शंकर ¨सह,जिला पंचायत राज अधिकारी

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ओडीएफ घोषित गांवों में आधा-अधूरा शौचालय होना गंभीर बात है। इसकी जांच कराई जाएगी,जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अर¨वद कुमार ¨सह,जिलाधिकारी

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