डायरिया बेकाबू, मासूमों से पटा वार्ड

By Edited By: Publish:Fri, 03 May 2013 10:03 PM (IST) Updated:Fri, 03 May 2013 11:14 PM (IST)
डायरिया बेकाबू, मासूमों से पटा वार्ड

वार्ड में बिस्तर 25, दाखिल मरीज 60 से ज्यादा

जागरण संवाददाता, बस्ती : तल्ख मौसम, मासूमों पर कहर बनकर टूटा है। उल्टी-दस्त-बुखार वाली बीमारी डायरिया बेकाबू हो गयी है। जिला अस्पताल का चिल्ड्रेन वार्ड मासूम बीमारों से पट गया। 25 बेड पर 60 से ज्यादा मरीजों को दाखिल किया गया, बावजूद इसके मरीजों की आमद जारी है। उधर, परिजनों से विगो से लेकर दवाइयां तक मंगायी जा रही है। सवाल ये कि फिर अस्पताल प्रशासन कर क्या रहा है?

शुक्रवार को चिल्ड्रेन वार्ड की तस्वीर बेहद डरावनी रही। प्रथम तल पर स्थित वार्ड तक जाने वाली सीढि़यों से लेकर बरामदे, गलियारे तक के हर हिस्से में जमीन पर बीमार बच्चे को लेकर परिजन बैठे दिखे। बाल रोग विशेषज्ञ डा.एसके गौड़ को छोड़ बाकी के दो डाक्टरों का कहीं पता नहीं था। पैरामेडिकल स्टाफ भी अपनी साम‌र्थ्य झोंक कर हर मरीज को राहत पहुंचाने की जद्दोजहद में लगा था। फिर भी हर परिजन को आपात कालीन चिकित्सा सेवा में जैसी तत्परता होनी चाहिए नहीं मिल रही थी। एक बेड पर तीन से चार मरीजों को लेकर जैसे तैसे समय बिता रहे सत्यम, रनवीर, मनीष, नमो, शिवम, विकल्प, जोया, डेढ़ साल के प्रिंस, एक बरस के अंकित, छह माह के दीपेश, दस माह के संजय व साल भर के दीपक के परिजनों की हालत खराब थी। बताया कि उनसे ड्रिप चढ़ाने के लिए जरूरी बाटल, सिरिंज, विगो सहित कई दवाइयां बाहर से मंगवायी गयी है। हमें इसकी परवाह नहीं, बस बच्चा जल्दी से ठीक हो जाए।

इस नजारे ने सरकार के उस दावे को कटघरे में खड़ा कर दिया जिसमें भरपूर दवाओं की उपलब्धता की बातें कहीं जाती है।

होगा 35-40 अतिरिक्त बेडों का इंतजाम

जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा.पीके सिंह ने कहा कि हां यह सही है कि हालात गंभीर हो गए है। मरीजों की आमद देखते हुए मेडिकल व सोल्जर वार्ड के गलियारे में 35-40 अतिरिक्त बेड लगवाए जा रहे हैं। हमारे पास भरपूर मात्रा में विगो है और बच्चों के लिए जरूरी छह प्रकार की एंटीबायटिक भी। इसके अलावा काटन, जाली सहित अन्य सामग्री का भी प्रबंध किया जा रहा है। अगर परिजनों से दवाएं मंगायी जा रही हैं तो यह चिंता की बात है, देखता हूं कि गड़बड़ी कहां पर है।

जिला, महिला में डाक्टर सिर्फ तीन

जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में कुल तीन बाल रोग विशेषज्ञ तैनात है। आलम ये है कि किसी भी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। संक्रामक रोगों से विभाग मुकाबला कैसे करेगा? यह चिंता किसी जिम्मेदार को नहीं है।

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