World Environment Day : आक्सीजन ही नहीं 100 रोगों की अचूक दवा भी है बरगद, विशेषज्ञों की जुबानी जानिये बरगद के पेड़ के और गुण

World Environment Day वट वृक्ष न सिर्फ आक्सीजन का अच्छा स्रोत है। बल्कि इसका आर्थिक चिकित्सा और आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है। आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों में ही बरगद के पत्ते दूध और जड़ों का प्रयोग करके दवाइयां बनायी जा रहीं हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 02:30 PM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 02:30 PM (IST)
World Environment Day : आक्सीजन ही नहीं 100 रोगों की अचूक दवा भी है बरगद, विशेषज्ञों की जुबानी जानिये बरगद के पेड़ के और गुण
इसके रेशों से मैटेरियल तैयार करके इको फ्रेंडली पैकेजिंग के व्यापार शुरू कर दिए गये हैं।

बरेली, जेएनएन। World Environment Day : वट वृक्ष न सिर्फ आक्सीजन का अच्छा स्रोत है। बल्कि इसका आर्थिक, चिकित्सा और आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है। आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों में ही बरगद के पत्ते, दूध, और जड़ों का प्रयोग करके दवाइयां बनायी जा रहीं हैं। इसके साथ ही इकोफ्रेंडली पैकेजिंग में भी बरगद की जड़ों का प्रयोग किया जा रहा है। इसके रेशों से मैटेरियल तैयार करके इको फ्रेंडली पैकेजिंग के व्यापार शुरू कर दिए गये हैं। बरगद में फ्लवेनॉयड्स केमिकल होता है। जो कि औषधि के काम आता है। विशेषज्ञों की मानें तो पूरे विश्व में बरगद की 800 प्रकार की प्रजातियां पायी जाती हैं।

डॉ. पूजा सक्सेना ने बताया कि 45 साल से हमारे घर में यह बरगद गमले में लगा हुआ है। हर साल इसकी जड़े बढ़ती हैं। तो गमला टूट जाता है। फिर से माली से ऐसे ही गमले में इसको लगवाया जाता है। मेरी सास ने भी इसी वट वृक्ष पर पूजा की थी। मेरी शादी को भी 38 साल के लगभग हो गये। अब मेरी बहु भी इसी पेड़ की पूजा करेगी। अब एक वट वृक्ष हम सड़क किनारे भी लगाएंगे।अनीता गोयल का कहना है कि हमारे घर के पार्क सामने लगभग 20 साल पुराना बरगद है। इसमें पूरी सोसायटी की महिलाएं वट सावित्री व्रत की कथा सुनती हैं। साथ ही पूजा करती हैं। कोरोना की वजह से इस बार घर में बोनजाई लगाएंगे। साथ ही सोसायटी की महिलाओं को जागरुक कर बदायूं रोड पर बरगद के पौधे का रोपण वट सावित्री व्रत वाले दिन करेंगे।

नीरू सक्सेना बताती हैं कि बरगद के पेड़ के औषधि गुण बहुत हैं। पहले किसी को डायरिया हो जाता था। तो पेड़ की कोंपल को तोड़कर नमक के साथ खिलाया जाता था। इससे बहुत आराम मिलता था। इसका धार्मिक महत्व तो हिंदू धर्म में सर्वविदित हैं। इस बार पार्क में नहीं हम लोग घर पर ही वट सावित्री का व्रत करेंगे। इसके लिए गमले में वट वृक्ष लगाएंगे।संतोष मिश्रा का कहना है कि इस बार पर्यावरण दिवस के अवसर पर घर में ही बरगद का पौधा लगाया है। इससे पहले पार्क में वट सावित्री व्रत की पूजा करने जाती थी। कोरोना काल में पेड़ों की महत्ता से हर शख्स वाकिफ हो चुका है। मैंने यह संकल्प लिया है कि वट सावित्री व्रत वाले दिन वट वृक्ष के पौधे का रोपण करुंगी।

बरेली कॉलेज के बॉटनी के एसोसिएट प्रो डॉ राजीव का कहना है कि बरगद ऑक्सीजन के स्रोत के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, त्वचा संबंधी रोगों को खत्म करने का काम करता है। इसके साथ ही इसके पत्ते, दूध और फल में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता है। बरगद में फ्लवेनॉयड्स केमिकल का प्रयोग आयुर्वेद और एलोपैथी दवाओं में किया जा रहा है। डायरिया से लेकर जहरीले कीट, पतंगों और जहरीले सांपों के काटने का इलाज भी बरगद की जड़ों को पीसकर पिलाने से संभव है। ऐसा शोध में भी सिद्ध हो चुका है। उन्होंने बताया कि बरगद की 800 प्रजाति विश्व में मिलती हैं।

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