अखिलेश यादव को गढ़ बचाने के लिए यहां करनी होगी कड़ी मेहनत, मुलायम सिंह यादव भी आजमा चुके किस्मत

UP Vidhansabha Chunav 2022 इटावा की तरह ही बदायूं को भी सपा का गढ़ कहा जाता है। बदायूं की सहसवान सीट से पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपनी किस्मत भी आजमां चुके हैं। उनके भतीजे पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव यादव की यह कर्मस्थली भी है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 02:05 PM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 02:05 PM (IST)
अखिलेश यादव को गढ़ बचाने के लिए यहां करनी होगी कड़ी मेहनत, मुलायम सिंह यादव भी आजमा चुके किस्मत
अखिलेश को गढ़ बचाने के लिए यहां करनी होगी कड़ी मेहनत, मुलायम सिंह भी आजमा चुके किस्मत

बदायूं, अंकित गुप्ता। UP Vidhansabha Chunav 2022 : इटावा की तरह ही बदायूं को भी सपा का गढ़ कहा जाता है। बदायूं की सहसवान सीट से पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपनी किस्मत भी आजमां चुके हैं। उनके भतीजे पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव यादव की यह कर्मस्थली भी है। उनका यहां आवास भी है। हालांकि पांच सालों में राजनीति का कुछ ऐसा चक्र बदला कि सपा अपने गढ़ को बचा नहीं सकी। यहां की छह विधानसभा सीटों में से पांच गवां दीं तो धर्मेंद्र यादव को भी लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। अब एक बार फिर चुनावी मैदान सज चुका है। अब समाजवादी पार्टी को अपने गढ़ बदायूं में खोई साख वापस लाने के लिए संघर्ष करना होगा। जिले की तीन सीटों पर सपा को जहां त्रिकोणीय मुकाबले का सामना करना पड़ेगा वहीं तीन सीटों पर भाजपा से सीधी टक्कर होगी।

2017 के चुनाव में बदायूं सदर, बिसौली, दातागंज, शेखूपुर और बिल्सी सीट पर सपा के प्रत्याशी हार गए थे। सिर्फ सहसवान सीट पर ही ओमकार सिंह यादव को जीत हासिल हुई थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सपा ने अब तक पूरी तरह से तो अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन शेखूपुर, बिसौली और सहसवान सीट पर दावेदारों के नाम तय हो चुके हैं। दातागंज और सदर सीट पर कुछ पेच फंसे हुए हैं। सपा के लिए सबसे अधिक चुनौती इस बार बिल्सी सीट पर होने वाली हैं। यहां से पार्टी की अब तक की रणनीति के अनुसार यह सीट महानदल के खाते में देते हुए यहां से चंद्रप्रकाश शाक्य को प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाई है।

जबकि यहां से बसपा और भाजपा ने भी शाक्य प्रत्याशी को ही उतारा है। ऐसे में इस सीट के अन्य मतदाताओं को रिझाने में सपा को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसी तरह इस बार पार्टी को सहसवान में भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यहां से लगातार जीतती आ रही पार्टी को जहां एंटी इनकंबेंसी का सामना कर पड़ सकता है, वहीं मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में यहां से बसपा ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। इसके अलावा राष्ट्रीय परिवर्तन दल से खुद डीपी यादव यहां से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं तो वह भी सपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।

वहीं यादव मुस्लिम और शाक्य बाहुल्य वाली शेखूपुर सीट पर अब तक आमने सामने की दिख रही भिड़ंत में अब सपा से टूटकर बसपा में शामिल होने वाले मुस्लिम दावेदार चुनावी मैदान में उतरकर सपा के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा सदर, बिसौली और दातागंज में सपा की सीधी भिड़ंत अब तक भाजपा से नजर आ रही है। सदर सीट पर बसपा और कांग्रेस ने ठाकुर बिरादरी के प्रत्याशी उतारे हैं, वहीं दातागंज सीट पर बसपा ने वैश्य बिरादरी के प्रत्याशी को टिकट दिया है। दोनों ही सीटों पर सर्वण के अलावा अन्य ओबीसी जाति के मतदाता जीत हार पर फर्क डाल सकते हैं, जिसे पाने के लिए सपा को संघर्ष करना होगा।

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