तड़पा मासूम, दो घंटे बाद आई एंबुलेंस Bareilly News

मीरगंज के नगरिया कल्याण निवासी रंजीत के तीन वर्षीय बेटे कृष्णा को कई दिनों से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Tue, 20 Aug 2019 02:58 PM (IST) Updated:Tue, 20 Aug 2019 02:58 PM (IST)
तड़पा मासूम, दो घंटे बाद आई एंबुलेंस Bareilly News
तड़पा मासूम, दो घंटे बाद आई एंबुलेंस Bareilly News

बरेली, जेएनएन : जीवन बचाने वाली एंबुलेंस की लेटलतीफी ने सोमवार को एक मासूम दो घंटे तक तड़पता रहा। मीरगंज से आए तीन साल के बच्चे को जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने तत्काल हायर सेंटर रेफर किया। बच्चा वार्ड प्रभारी ने एंबुलेंस को कॉल की। लेकिन, एंबुलेंस दो घंटे बाद आई। पिता की शिकायत पर एडीएसआइसी ने चालक से स्पष्टीकरण तलब कर लिया।

मीरगंज के नगरिया कल्याण निवासी रंजीत के तीन वर्षीय बेटे कृष्णा को कई दिनों से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सोमवार को तकलीफ बढ़ने पर सीएचसी में दिखाया। वहां से जिला अस्पताल भेजा। दोपहर एक बजे परिवार बच्चे को लेकर जिला अस्पताल आया। डॉक्टर ने बच्चे को देखा तो फेफड़े में इंफेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्कत पता चली। हालत नाजुक देखकर वहां से भी तुरंत हायर सेंटर रेफर कर दिया। बच्चा वार्ड इंचार्ज डेजी लाल ने एंबुलेंस को फोन किया। बार-बार फोन करने पर भी एंबुलेंस करीब दो घंटे बाद पहुंची।

ओपीडी में पांच हजार के पार मरीज संख्या 

स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशें, कवायद बुखार के आगे घुटने टेक गईं। स्वास्थ्य मंत्री की फटकार, चेतावनी के बावजूद वायरल और मच्छर जनित बुखार पर लगाम लगना तो दूर मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई। सोमवार को तो जिला अस्पताल की ओपीडी में इस सीजन के सर्वाधिक मरीज आए। 2606 नए मरीजों के पर्चे बने तो करीब 2500 पुराने मरीज भी पहुंचे। मरीजों को भर्ती करते-करते सवा तीन सौ बेड का अस्पताल भी छोटा पड़ गया।

अफसरों के फूले हाथ-पांव

रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को अस्पताल की ओपीडी खुली तो मरीजों की भीड़ टूट पड़ी। एक दिन में 26 सौ से अधिक मरीजों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। मरीजों की कतार इतनी लंबी थी कि कक्ष में बैठे डॉक्टर घंटों सीट से नहीं उठ पाए। करीब सौ मरीजों को भर्ती करना पड़ा। अधिकतर बुखार के हैं। अस्पताल के वार्ड भी फुल हो गए।

जिले में मच्छरों का घनत्व पता नहीं, रोकथाम नहीं 

दुश्मन की तादाद जाने बिना ही स्वास्थ्य महकमा डेंगू, मलेरिया को कुचलने का मंसूबा पाले है। जिले में कहां, कितने और कैसे मच्छर हैं यही नहीं पता। विभाग में न इंसेक्ट कलेक्टर है और न मच्छरों का घनत्व जांचने की व्यवस्था। सही स्रोत न पता होने से वहां भी निरोधात्मक कार्रवाई कर रहे हैं जहां बीमारी का वेक्टर (वाहक) है ही नहीं। अब सीएमओ ने मच्छरों के घनत्व की जांच कराने की मांग के साथ एडी हेल्थ को पत्र भेजा है।

पिछले साल लखनऊ की टीम ने की थी जांच

मच्छरों से जनित बुखार ने पिछले साल 200 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाया तब सरकार जागी थी। लखनऊ से टीम भेजी गई थी। उन्होंने मच्छरों का घनत्व चेक कर स्थानीय टीम को मच्छरों की संख्या व अन्य जानकारी दी तब प्रभावी कार्रवाई हो सकी थी।

मंडल में केवल पीलीभीत में इंसेक्ट कलेक्टर

अपने मंडल में यह काम एंटोमोलॉजिस्ट डॉ. दीपक के पास है। लेकिन जिलों में केवल पीलीभीत में ही इंसेक्ट कलेक्टर है।

फिर छिड़ी नया वार्ड देने को लेकर ‘जंग’
बुखार का प्रकोप बढ़ा तो स्वास्थ्य अफसर में भी जंग शुरू हो गई। मरीज बढ़ने पर महिला अस्पताल में उपयुक्त वार्ड को लेकर पिछले साल भी टकराव हुआ था। सीएमएस को कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। फिर भी अफसरों ने इससे सबक नहीं लिया। जिला अस्पताल में वार्ड फुल होने पर एडीएसआइसी डॉ. टीएस आर्या ने महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अलका शर्मा से एक वार्ड मांगा। सीएमएस 30 बेड वाला ओल्ड मैटरनिटी वार्ड दे रहीं। इसमें सीलन होने पर एडीएसआइसी ने मना कर दिया। सीएमएस का कहना है कि नई बिल्डिंग में प्रसूताओं के वार्ड के पास बुखार वार्ड बनाने में उन्हें संक्रमण का खतरा है। 

बुखार के मरीज बढ़े तो जिला अस्पताल दौड़े एडीएम सिटी 

जिले में बुखार के मरीजों बढ़ने की सूचना पर आला अफसरों के निर्देश पर एडीएम सिटी ने सोमवार शाम को जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने मलेरिया, डेंगू वार्ड को भी देखा। मरीजों से बातचीत की और साफ-सफाई बढ़ाने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

जागरण ने एक दिन पहले जिला अस्पताल में एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती किए जाने की खबर प्रकाशित की थी। मलेरिया, डेंगू के नियंत्रण को शासन के गंभीर होने के साथ ही अधिकारी भी सतर्क हैं। इसके चलते सोमवार शाम को एडीएम सिटी महेंद्र सिंह जिला अस्पताल के औचक निरीक्षण को पहुंच गए। उन्होंने सीएमओ डॉ. विनीत शुक्ला के साथ इमरजेंसी वार्ड, मलेरिया वार्ड, डेंगू वार्ड, अन्य कारणों से बुखार पीड़ितों का वार्ड, प्रसूताओं का वार्ड, एसएनसीयू आदि का हाल देखा। उन्हें एक बेड पर दो मरीज भर्ती नहीं मिले।

मलेरिया के प्लाज्मोडियम वाइवेक्स व प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के वार्ड अलग थे। वहां बेड पर मच्छरदानी लगी थी। रोगियों से पूछने पर उन्होंने दवाएं मिलना बताया। एडीएम महिला अस्पताल के एसएनसीयू देखने भी गए। वहां सात वार्मर पर 18 बच्चे भर्ती मिले। एक वार्मर पर दो या तीन बच्चे थे। पहचान के लिए पैर में टैग लगा रखा था। एडीएम ने उपलब्ध संसाधनों में ही बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने व रोगियों व परिजनों से मधुर व्यवहार करने के निर्देश दिए। इस दौरान एडीएसआइसी डॉ. टीएस आर्या, डॉ. एके गौतम, डॉ. शशि गुप्ता आदि मौजूद रहे।

मच्छरों का घनत्व पता होने से लार्वा पनपने वाले सही स्थान पर एंटी लार्वा छिड़काव, डीडीटी स्प्रे का मामला गंभीर है। एंबुलेंस दो घंटे बाद मरीज को लेने पहुंची। इस बात की जांच कराई जाएगी। एंबुलेंस चालक से स्पष्टीकरण मांगा है। - डॉ. टीएस आर्या, एडीएसआइसी

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