कोरोना की शुरुआती स्टेज में स्टेरॉयड या हाई एंटीबायोटिक खतरनाक

स्टेरॉयड दोधारी तलवार है। सही समय पर प्रयोग न करने से इसके फायदे कम बल्कि नुकसान ज्यादा हो सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 05:07 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 05:07 AM (IST)
कोरोना की शुरुआती स्टेज में स्टेरॉयड या हाई एंटीबायोटिक खतरनाक
कोरोना की शुरुआती स्टेज में स्टेरॉयड या हाई एंटीबायोटिक खतरनाक

बरेली, जेएनएन: स्टेरॉयड दोधारी तलवार है। सही समय पर प्रयोग न करने से इसके फायदे कम बल्कि नुकसान ज्यादा हो सकता है। कुछ यही हाल रेमडेसिविर या हाई एंटीबायोटिक का है, लेकिन लोगों के दिलों में कोरोना का खौफ कुछ ऐसा हुआ कि संक्रमण के शुरुआती दौर में भी एंटीबायोटिक की हाई डोज या स्टेरॉयड तक की डिमांड बिना विशेषज्ञ की सलाह खुद ले रहे हैं।

श्रीराम मूर्ति स्मारक मेडिकल कालेज के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.दीप पंत बताते हैं कि जिन दवाओं के साइडइफेक्ट भी होते हैं, उनका उपयोग मॉडरेट या सीवियर कैटेगरी में ही करना चाहिए। ताकि नुकसान कम और संक्रमण से जीवन बचाने का फायदा ज्यादा हो। दिल पर कोरोना का सीधा असर

डॉ.पंत बताते हैं कि दिल के मरीजों पर कोरोना संक्रमण का दोहरा असर है। पहला इन पर संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। वहीं, बाद में हार्ट डिजीज होने की संभावना भी ज्यादा हैं। क्योंकि संक्रमण से दिल की मांसपेशियां भी संक्रमित हो जाती हैं। इससे हार्ट अटैक पड़ सकता है। हार्ट फेल हो सकता है। दिल की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ सकती है। वहीं, स्टेरॉयड या हाई एंटीबायोटिक के अत्यधिक प्रयोग का भी दिल पर असर पड़ता है। अनियंत्रित हो सकती है डायबिटीज

हायर ड्रग्स जैसे स्टेरॉयड, या हाई एंटीबायोटिक मॉडरेट या सीवियर कैटेगरी से कम वायरल लोड वाले मरीजों को देंगे तो ड्रग की हाईडोज वायरल लोड से लड़ने के अलावा शरीर पर दूसरी तरह रिएक्ट करती है। इससे रोग से लड़ने की क्षमता कम हो सकती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को खासा परेशानी हो सकती है, ये बीमारी अनियंत्रित हो सकती हैं। आइवरमेक्टिन भी करती है गैस संबंधी दिक्कत

कोरोना संक्रमण के दौर में इस समय आइवरमेक्टिन दवा भी खूब प्रचलन में है। संक्रमण के शुरुआती में लक्षण में यह दवा दी जाती है। इसके अलावा विटामिन सी, मल्टी विटामिन या अन्य घरेलू उपचार भी होते हैं। लेकिन विशेषज्ञ कोरोना की पहली स्टेज के रोगी के अलावा एहतियात के तौर पर तीमारदार, डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को ही आइवरमेक्टिन जैसी दवा लेने की सलाह देते हैं। क्योंकि इससे गैस बनने की दिक्कत सामने आती है। खून पतला करने की दवा बिल्कुल न छोड़ें

कोरोना संक्रमण की वजह से खून काफी गाढ़ा हो जाता है, जिससे थक्का बनने लगता है। इससे ब्रेन का स्ट्रोक भी पड़ सकता है। ऐसे में विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। खून पतला रखने की दवाएं बिल्कुल न छोड़ें। दिल की बीमारी से जुड़े लोगों के लिए कोविड वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है। खूब पानी पिएं।

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