पीलीभीत में गन्ने की पेराई का नया सत्र शुरू पर अभी तक किसानों को नहीं मिला बकाया भुगतान

Sugarcane Crushing Started in Pilibhit गन्ना पेराई का सीजन शुरू हो गया है। पीलीभीत की एलएच चीनी मिल पिछले सत्र का भुगतान पहले ही दे चुकी है लेकिन अन्य तीन चीनी मिलों पर अभी संबद्ध किसानों का 162 करोड़ 12 लाख रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान बकाया है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 07:05 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 07:05 PM (IST)
पीलीभीत में गन्ने की पेराई का नया सत्र शुरू पर अभी तक किसानों को नहीं मिला बकाया भुगतान
जिले की दो सहकारी व एक निजी चीनी मिल पर किसानों का 162 करोड़ 12 लाख रुपये बकाया है।

बरेली, जेएनएन। Sugarcane Crushing Started in Pilibhit : गन्ना पेराई का सीजन शुरू हो गया है। पीलीभीत  की एलएच चीनी मिल अपने गन्ना किसानों को पिछले सत्र का शत-प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान पहले ही दे चुकी है लेकिन जिले की शेष तीन अन्य चीनी मिलों पर अभी संबद्ध किसानों का 162 करोड़ 12 लाख रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान बकाया है। इन तीनों मिलों ने भी नए पेराई सत्र के शुभारंभ के लिए तिथियां घोषित कर दी हैं लेकिन पुराने बकाया का भुगतान किसानों को कब तक मिल पाएगा, इसके लिए कोई घोषणा नहीं की गई।

बरखेड़ा में स्थित बजाज हिंदुस्तान चीनी मिल का नया पेराई सत्र 12 नवंबर से शुरू करने की घोषणा की है। इस मिल पर पिछले पेराई सत्र का सबसे ज्यादा 126 करोड़ 7 लाख रुपये गन्ना मूल्य बकाया है। मिल ने पिछले सत्र में खरीदे गए गन्ना का अभी तक सिर्फ 58 फीसद ही भुगतान किसानों को दिया है। अभी चीनी मिल पर 42 फीसद भुगतान बकाया है। इसी तरह से बीसलपुर की सहकारी चीनी मिल 17 नवंबर से विधिवत गन्ना पेराई शुरू करने की तैयारी में है। इस मिल पर भी किसानों का 21 करोड़ 47 लाख रुपये गन्ना मूल्य बकाया है। पूरनपुर में सहकारी चीनी मिल 12 नवंबर को को पटला पूजन करके 15 नवंबर से पेराई शुरू करेगी। पिछले सत्र का इस मिल पर भी किसानों का 14 करोड़ 58 लाख रुपये बकाया है।

किसान शंकर लाल का कहना है कि चीनी मिल से कभी समय पर गन्ना का पैसा नहीं मिलता। भुगतान समय पर मिल जाए तो एकमुश्त रकम हाथ में आने पर कोई दिक्कत नहीं होती, वरना कर्ज लेना पड़ जाता है। किसान योगेश कुमार ने बताया कि अभी तक पिछले साल का पूरा गन्ना मूल्य भुगतान नहीं मिला है। नई फसल करने के लिए कर्ज लेना पड़ जाता है। गन्ना का दाम तौल कराने के 14 दिन के भीतर मिल जाना चाहिए। छत्रपाल का कहना है कि गन्ना को नकदी फसल कहा जाता है लेकिन पैसा साल भर तक चीनी मिलों में अटका रहता है। दूसरी ओर गन्ना की छिलाई से लेकर ढुलाई तक मजदूरों को नकद भुगतान करना पड़ता है। सत्यपाल ने बताया कि कई बार तो पैसे की जरूरत पड़ जाने पर कोल्हू या क्रेशर पर नकद गन्ना बेचना पड़ जाता है। हालांकि वहां दाम काफी कम मिलता है लेकिन मजबूरी के कारण बेच देते हैं।

जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि किसानों को पिछले पेराई सत्र का शत-प्रतिशत भुगतान हर हाल में दिलाया जाएगा। जिला प्रशासन के साथ ही शासन स्तर पर भी बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान की लगातार समीक्षा होती है। संबंधित मिलों पर दबाव बनाया जा रहा है। जल्द ही बकाया भुगतान की व्यवस्था कराई जाएगी।

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