मुल्ला मुलायम और मुसलमान

By Edited By: Publish:Fri, 22 Nov 2013 01:04 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2013 01:06 AM (IST)
मुल्ला मुलायम और मुसलमान

वसीम अख्तर, बरेली

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सपा नेतृत्व फिक्रमंद है। कहीं मुस्लिम वोट बैंक खिसक नहीं जाए। उसे साधने के लिए गुरुवार को फाजिल-ए-बरेलवी आला हजरत की सरजमीन पर देश बचाओ-देश बनाओ रैली में प्रभावी कोशिश हुई। मंच पर अग्रिम पंक्ति में नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां को जगह दी तो दूसरी तरफ दरगाह शाह शराफत मियां के प्रबंधक मुमताज मियां को बैठाया गया। सपा सुप्रीमो से लेकर आजम खां तक ने मजबूत रहे रिश्तों की फिर मजबूती से दुहाई दी।

रुहेलखंड की राजधानी कहलाने वाली बरेली में सपा के रैली करने का मकसद पहले से ही साफ हो रहा था। रैली भी उस इस्लामिया मैदान पर की गई, जो आला हजरत के उर्स को लेकर पहचाना जाता है। कुल से लेकर तमाम बड़े आयोजन इसी मैदान पर होते हैं। आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष एवं हथकरघा, वस्त्रोद्योग के सलाहकार मौलाना तौकीर रजा खां और दरगाह शाह शराफत मियां के प्रबंधक मुमताज मियां के अलावा आला हजरत खानदान के मौलाना तसलीम रजा खां और मुहम्मद तौसीफ रजा खां को भी मंच पर जगह दी। बदायूं से मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले यासीन उस्मानी को भी बोलने का मौका मिला। तौकीर रजा खां से सपा सुप्रीमो का स्वागत भी कराया गया। मुलायम जब बोलने आए तो उन्होंने तौकीर रजा खां और उनके बड़े भाई दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां का नाम लेते हुए उनका धन्यवाद भी किया। मकसद साफ था-सपा सुप्रीमो सुन्नी (बरेलवी) मुसलमानों के गढ़ में उन्हें रिझाने की कोई कोशिश छोड़ना नहीं चाहते थे।

इससे पहले जब सपा का मुस्लिम चेहरा कहलाने वाले मुहम्मद आजम खां की तकरीर हुई तो उसमें मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर सपा नेतृत्व की फिक्र जाहिर हुई। आजम खां ने कहा कि वहां जो कुछ हुआ इंसानियत का सिर झुकाने वाला था लेकिन आठ गांवों से सवा सौ करोड़ लोगों की तकदीर का फैसला नहीं हो सकता। इसके बाद जब उन्होंने रुहेलखंड का जिक्र किया तो आला हजरत का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया। उनके फतवे और शख्सियत पर बोले। यह भी बताया कि उनके सामने उस वक्त की वजीरे आजम ने घुटने टेक दिए थे लेकिन अहमद रजा खां ने फिर भी मिलने से इन्कार कर दिया। आजम खां ने यह कहते हुए मौलाना तौकीर रजा खां की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया कि फिरके और मसलक की दीवारें तोड़कर एक हो जाओ। मुट्ठी बना लो। तय कर लो कि बंटना नहीं है। जब बरेली का यह विचार तय हो जाएगा तो नया हिंदुस्तान खड़ा होगा। इंकलाब आएगा। बहरहाल, जिस तरह रैली में भीड़ उमड़ी और उसमें बड़ी तादाद टोपी वालों की रही, उससे सपा नेतृत्व अपनी कोशिश में फिलहाल कामयाब दिखा।

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