Jagran Speacial: मशीन बताएंगी छात्रों का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लग रहा
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) इंसानी व्यवहार का तेजी से अध्ययन कर रही है। इसमें इंटरनेट या हमारी गतिविधियों के डाटा की भूमिका अहम है।
जेएनएन, बरेली : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) इंसानी व्यवहार का तेजी से अध्ययन कर रही है। इसमें इंटरनेट या हमारी गतिविधियों के डाटा की भूमिका अहम है। जितना अधिक डाटा इकट्ठा होगा, मशीनें उतनी ही काबिल होती जाएंगी। एआइ के सामने फर्जी डाटा से पार पाने की बड़ी चुनौती भी है। इससे डीप लर्निंग यानी गहनता से सीखकर ही पार पाया जा सकता है। मसलन, भविष्य में फर्जी तस्वीर, वीडियो, टेक्सट के बारे में मशीन को प्रशिक्षित कर दिया जाएगा। बाद में जब कोई ऐसा कंटेंट डालेगा तो मशीन उसे चिन्हित कर लेगी कि यह फर्जी सामग्री है। मंगलवार को एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए इंडोनेशिया की गुनाडरमा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर प्रिहोंडाको ने यह बातें कहीं।
प्रो. प्रिहोंडाको के मुताबिक, आने वाले समय में मशीनें वैसा ही व्यवहार करेंगी, जैसे हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे। मसलन, इंटरनेट पर हमने बिल्ली की पहचान की जो जानकारी दी हैं, मशीन उसी डाटा से पहचान कर बिल्ली का किरदार यानी चित्र पेश करेगी। आज जो फेक न्यूज, वीडियो, फोटो वायरल हो रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए 'डीप लर्निंग' की तकनीक के विस्तार की जरूरत है।
चीन की कक्षा में लग रहीं मशीने
रुविवि के इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रो. विनय ऋषिवाल के मुताबिक, चीन के स्कूलों में कैमरे लगाए जा रहे हैं। डीप लर्निंग तकनीक के जरिये ये कैमरे छात्रों के हाव-भाव की तस्वीर लेंगे। मशीनें डीप लर्निंग से इनका अध्ययन करेंगी। वह बताएंगी कि क्लास में छात्र का मन क्यों नहीं लग रहा। जब, शिक्षक पढ़ा रहे थे, तो छात्र क्या सोच रहा था। लेक्चर उनकी समझ में आया की नहीं। भविष्य में ऐसी ही मशीनें शिक्षण संस्थानों में नजर आएंगी। हालांकि, अभी भारत डाटा स्टोर, इंटरनेट स्पीड और बिजली की निर्बाध आपूर्ति के मामलें में काफी पीछे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से डाटा अध्ययन के लिए भेजने में इंटरनेट स्पीड आड़े आते है।
अप्रशिक्षित लोगों के लिए चुनौती
एआइ में प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार की भरमार है, मगर अप्रशिक्षित यानी मजदूर वर्ग के रोजगार का उतना ही संकट भी नजर आ रहा है। अप्रशिक्षित वर्ग का सारा काम रोबोट, मशीनें करने लगेंगी। भविष्य के लिए शिक्षा-प्रशिक्षण बेहद जरूरी है।
शोधार्थी व सरकार साथ बैठें तब बने बात
तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआइपी) की ओर आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में अकादमिक रिसर्च इन इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी पर प्रोफेसरों ने अपना नजरिया रखा। टीईक्यूआइपी के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि तीन दिवसीय कांफ्रेंस में हर विषय पर मंथन होगा। डॉ. विनय ऋषिवाल कहते हैं कि सरकार शोधार्थी, वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भविष्य का प्लान बनाए, तो बेहतर नतीजे आएंगे।