जानिए इस बार उर्स में क्यों शामिल नहीं हो सकेंगे पाकिस्तानी जायरीन Bareilly News
आला हजरत के 101वें तीन दिनी उर्स-ए-रजवी में इस बार पाकिस्तानी जायरीन शरीक नहीं होंगे। पहली वजह इस बार न तो दरगाह से जुड़े लोगों ने पाक जायरीन के आने की खैर-खबर ली है और न ही उन्हें वीजा दिलाने के लिए विदेश मंत्रलय में पैरवी की।
अतीक खान, बरेली : 23 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे आला हजरत के 101वें तीन दिनी उर्स-ए-रजवी में इस बार पाकिस्तानी जायरीन शरीक नहीं होंगे। पहली वजह, इस बार न तो दरगाह से जुड़े लोगों ने पाक जायरीन के आने की खैर-खबर ली है और न ही उन्हें वीजा दिलाने के लिए विदेश मंत्रलय में पैरवी की। दूसरी, उर्स में हाजिरी लगाने के लिए किसी पाकिस्तानी ने भी दरगाह से संपर्क नहीं किया है।पिछले साल सौ साला उर्स में पाकिस्तानी जायरीन का जत्था दरगाह आला हजरत पहुंचा था।
वीजा देने के लिए की थी विशेष अपील जमात-रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने तत्कालीन विदेश मंत्री (अब दिवंगत) सुषमा स्वराज से जायरीन को वीजा दिलाने की विशेष अपील की थी। पाकिस्तानियों ने तब अगले साल यानी 101वें उर्स में भी आने का इरादा जाहिर किया था। मगर अबकी पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में लगातार तनाव बढ़ता गया। एयर स्ट्राइक और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से तल्खी ज्यादा बढ़ गई है। यही कारण है कि इस बार दोनों तरफ से हाजिरी को लेकर कोई पहल नहीं हुई।
दरगाह से हर साल होती रही सिफारिश पाकिस्तान में आला हजरत के लाखों चाहने वाले हैं। वे हर साल उर्स में हाजिरी के लिए आवेदन करते और दरगाह से उन्हें बुलाने के लिए विदेश मंत्रलय में पुरजोर तरीके से पैरवी की जाती रही है। दरगाह की अपील के आधार पर भारत सरकार पाक जायरीन को वीजा दे देती थी। वहीं, उर्स-ए-रजवी बरेली के अलावा दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, तुर्की, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में आला हजरत के चाहने वाले उर्स का एहतमाम करते हैं।
पाकिस्तानी जायरीन को बुलाने के लिए अबकी कोई विदेश मंत्रालय में कोई पैरवी नहीं की है, न ही किसी जायरीन से संपर्क किया गया। आवेदन की भी जानकारी नहीं है। इतना जरूर है कि अबकी पाक से कोई उर्स में नहीं आ रहा है। सलमान हसन खां कादरी, उपाध्यक्ष, जमात-रजा-ए-मुस्तफा, दरगाह आला हजरत