Jagran Column : बोली गली : गिरगिट बना बिजली विभाग, फिर उड़ा रंग Bareilly News

एक दो हजार के मामूली बकाये पर लोगों के घरों की बत्ती उड़ा देने वाला विद्युत विभाग गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 20 Feb 2020 04:00 AM (IST) Updated:Thu, 20 Feb 2020 01:46 PM (IST)
Jagran Column : बोली गली : गिरगिट बना बिजली विभाग, फिर उड़ा रंग Bareilly News
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अभिषेक जय मिश्रा : एक, दो हजार के मामूली बकाये पर लोगों के घरों की बत्ती उड़ा देने वाला विद्युत विभाग गिरगिट की तरह रंग बदलता है। छोटे बकाएदारों के घर के आगे लाल, पीले होने वाले अफसर और कर्मचारियों के चेहरे उस वक्त सफेद पड़ गए जब मुख्यालय से बड़े साहब ने उनसे नफा-नुकसान का हिसाब तलब कर लिया। सामने आया कि सालों से सरकारी विभाग और बड़े अफसरों के आवासों के लाखों रुपये लेने की सुध तक किसी ने नहीं ली। बड़े साहब की फटकार ऐसी पड़ी कि अफसरों के निशाने पर बरेली मंडल के 47 हजार कनेक्शन आ गए। पूरा अमला सड़कों पर उतर गया। बकाए इतने बड़े थे कि वसूलने में ही पसीने छूटे जा रहे हैं। अब अधिकारियों के लिए नया फरमान मुसीबत बनकर गिरा है। उन्हें लिखकर देना होगा कि उनके खंड में बकाएदार शून्य हो गए हैं। इसके बाद अफसरों के चेहरों के रंग उड़े हुए हैं।

टमाटर हटवाएगा बाजार

साईं स्टेडियम के पास लगने वाले परंपरागत हाट बाजार को विस्थापित करने की कोशिशों की वजह से इन दिनों चर्चा में है। 30 हजार परिवारों को जरूरत का सामान मुहैया करने वाले हाट बाजार को हटाने का प्रस्ताव तक बोर्ड के सामने रखा जा चुका है। बोर्ड के बुजुर्ग सदस्य हंसते हुए बोले - बाजार के मसले के पीछे टमाटर का फसाना है। दो साल पहले एक चर्चित बोर्ड सदस्य हाट बाजार में टमाटर खरीदने गए थे। मोलभाव पर टमाटर वाले से उनका विवाद इस कदर बढ़ा कि ठेला ही फिंकवा दिया। खुन्नस ऐसी जागी कि बोर्ड बैठक में हाट बाजार हटवाने का प्रस्ताव ही लगवा लिया। एक वक्त पर खूबियों का बखान करते थे। अचानक परंपरागत बाजार से तमाम गड़बडिय़ां उन्हें नजर आने लगीं। अब बाजार में सब्जी और फल बेचने वालों के बीच अक्सर बतकही चलती है कि अच्छे टमाटर बेचे उस रोज। लगता है टमाटर बाजार हटवाएगा।

बॉर्डर ने अटकाया टैक्स

आपराधिक वारदातों में पुलिस का सीमा विवाद आम घटनाक्रम है। हैरानी यह है कि कैंट बाजार की 50 दुकानों की टैक्स वसूली 20 साल से नगर निगम और कैंटोमेंट बोर्ड के बीच सीमा विवाद में फंसी हुई हैं। यह दुकानें कैंट के बार्डर एरिया पर हैं। जब नगर निगम की टीम टैक्स वसूलने जाती है तो दुकान के मालिक कैंट बोर्ड को टैक्स दे चुके, कहकर टरका देते हैं। कुछ ऐसा ही कैंटोमेंट बोर्ड के रेवेन्यू डिपार्टमेंट की टीम के पहुंचने पर भी होता है। टैक्स तो अलबत्ता किसी को नहीं मिलता। यह सरकारी राजस्व की चपत की एक अनोखी नजीर है। टैक्स वसूली को लेकर नगर निगम और कैंटोमेंट बोर्ड के बीच जमीन को लेकर खींचतान भी लंबे समय से चली आ रही है। सरकारी सिस्टम ऐसा कि 20 साल में एक छोटी सी जमीन की पैमाइश नहीं करवाई जा सकी है। भला राजस्व चपत की किसे पड़ी हैं।

मीटर स्मार्ट हैं और अधिकारी परेशान

लोड जंप से सूबे में हड़कंप मचवाने वाले स्मार्ट मीटरों ने विद्युत विभाग की बड़ी मुश्किल भी आसान कर दी। ऐसे उपभोक्ताओं को ढूंढ निकाला, जिन्हें विद्युत विभाग भी नहीं ढूंढ पा रहा था। अब विद्युत विभाग ऐसे उपभोक्ताओं से बकाया रकम चुकता करने का दबाव बना रहा है। दरअसल लंबे समय तक बिलों के बकाए न चुकाने वाले उपभोक्ताओं के नहीं मिलने पर विद्युत विभाग उन्हें अनट्रेस श्रेणी में डाल देता है। सिर्फ बरेली शहर में ढाई हजार से ज्यादा उपभोक्ता अनट्रेस श्रेणी में थे। निजी ठेका कंपनी ने घर-घर जाकर स्मार्ट मीटर लगाने की शुरु किए तो कई पतों पर ऐसे उपभोक्ता मिले। जिन्हें विद्युत विभाग पहले डिफाल्टर घोषित कर चुका था। अफसर खुश हैं क्योंकि एक तीर से दो निशाने लग रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के अधिकारी हंसते हुए बोले कि पहली बार आम के आम और गुठलियों के दाम विद्युत विभाग पर सटीक लग रहा है। 

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