निजी अस्पताल ने बिना टेस्ट कराए चार दिन भर्ती रखा मरीज, मौत के बाद शुरु हुई जांच

जिले के निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती कर रहे हैं। लेकिन कोविड नियमों के तहत उनका टेस्ट नहीं कराया जा रहा। इसके चलते उनकी हालत बिगड़ती है और कोविड जांच में पॉजिटिव आने के बाद उनकी मौत हो जा रही है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 09:30 AM (IST)
निजी अस्पताल ने बिना टेस्ट कराए चार दिन भर्ती रखा मरीज, मौत के बाद शुरु हुई जांच
निजी अस्पताल ने बिना टेस्ट कराए चार दिन भर्ती रखा मरीज, मौत के बाद शुरु हुई जांच

बरेली, जेएनएन। जिले के निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती कर रहे हैं। लेकिन कोविड नियमों के तहत उनका टेस्ट नहीं कराया जा रहा। इसके चलते उनकी हालत बिगड़ती है और कोविड जांच में पॉजिटिव आने के बाद उनकी मौत हो जा रही है। 27 सितम्बर को भी ऐसी ही एक महिला की मौत हो गई थी। डेथ ऑडिट के बाद नोडल अधिकारी ने मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने मामले में जांच के आदेश दिए है। 27 सितंबर को सहसवानी टोला मस्जिद के पास रहने वाली 38 वर्षीय आमरीन जैदी की मौत हुई थी।

28 सितंबर को जब नोडल अधिकारी नवनीत सहगल ने समीक्षा की तो इस मामले में प्रथम दृष्टया कई झोल सामने आए। उन्होंने पूछा कि जब महिला को चार पांच दिनों से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी तो सर्वे टीम तक जानकारी क्यों नहीं आई। इसके बाद स्वजनों ने उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। निजी अस्पताल में भी उन्हेंं भर्ती करने की जल्दबाजी की गई। जबकि नियमानुसार मरीज की पहले एंटीजन जांच करानी चाहिए थी, लेकिन नहीं कराई गई। इसके बाद 26 सितंबर को जब उनकी जांच हुई तो वह पॉजिटिव आईं।

उन्हें शहर के कोविड एल-3 अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां भर्ती होने के समय आमरीन का आक्सीजन स्तर 94 फीसद था। नोडल अधिकारी ने सवाल किया कि 94 फीसद आक्सीजन स्तर होने के बाद भी उनकी जान क्यों नहीं बचाई जा सकी। इस पर उन्होंने जिला प्रशासन को मामले में त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए। नोडल अधिकारी ने कहाकि सर्वे टीम तक जानकारी न आना, निजी अस्पताल में एंटीजन जांच न किया जाना और कोविड अस्पताल में इलाज में लापरवाही आदि तीनों की जांच होना जरूरी हे।

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