शासन ने प्रवासियों के लिए बदली राशन वितरण की व्यवस्था, जानिये क्या किए बदलाव

कोरोना संक्रमण के चलते शायद पहली बार हुआ कि शासन ने प्रवासियों के पलायन के मद्देनजर राशन वितरण व्यवस्था ही बदली।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2020 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 05:52 PM (IST)
शासन ने प्रवासियों के लिए बदली राशन वितरण की व्यवस्था, जानिये क्या किए बदलाव
शासन ने प्रवासियों के लिए बदली राशन वितरण की व्यवस्था, जानिये क्या किए बदलाव

बरेली, जेएनएन। Lockdown Ration Distribution System : कोरोना संक्रमण के चलते शायद पहली बार हुआ कि शासन ने प्रवासियों के पलायन के मद्देनजर राशन वितरण व्यवस्था ही बदली। घर, आश्रयस्थल और पंचायत भवनों में ठहरे प्रवासियों को मुफ्त राशन दिलाने के साथ अस्थाई राशन कार्ड बनाए। गेहूं, चावल और मुफ्त चना बांटा। खाद एवं रसद विभाग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रवासियों के अस्थाई राशन कार्ड बनाकर मुफ्त राशन वितरण करने में बरेली का सूबे के 60 जिलों में सातवां स्थान है। जिले में 1017 प्रवासियों के अस्थाई कार्ड बने। इन प्रवासियों को 4905 किलो गेहूं, 3270 किलो चावल और 580 किलो चना बांटा गया।

30 सामुदायिक रसोई से मिली सब्जी-पूड़ी

अस्थाई कार्ड से इतर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से आए प्रवासियों को भोजन देने के लिए जिले में 30 सामुदायिक रसोई चलाई गईं। पूड़ी-सब्जी मुहैया करवाई। करीब पांच करोड़ रुपये से प्रवासियों को लगातार भोजन उपलब्ध कराया गया।

अब महीने में दो बार राशन वितरण

संक्रमण में शासन ने कार्यपद्धति में बदलाव किया। महीने के पहले पखवाड़ा में अंत्योदय, मनरेगा जॉब कार्डधारकों को मुफ्त अनाज वितरण हो रहा है। जबकि गृहस्थ कार्डधारकों को गेहूं दो रुपये प्रति किलो, चावल तीन रुपये प्रति किलो दिया जाता है। महीने के दूसरे पखवाड़ा में सभी कार्डधारकों को चावल और चना मुफ्त दिया जाता है।

97 फीसद राशनकार्ड आधार से लिंक

विभाग का दावा है कि 97 फीसद राशनकार्डों को आधारकार्ड से ङ्क्षलक हो चुके। इससे प्रवासी समेत सभी कार्डधारकों को कार्ड पोर्टेबिल्टी का लाभ भी मिल रहा। यानी, बरेली का कार्डधारक किसी भी अन्य जिले में राशन ले सकता है। हालांकि जिले में करीब 5000 कार्डधारकों के कार्ड आधार से ङ्क्षलक होने शेष हैैं।

प्रवासियों को राशन और भोजन दिलवाना हमारी प्राथमिकता में रहा। अस्थाई कार्ड के जरिए उन्हें राशन दिलवाने के बाद रोजगार का प्रयास भी किया जा रहा है। साथ ही, सामुदायिक रसोई में भी अच्छा काम हुआ है। - नितीश कुमार, जिलाधिकारी

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