आग जो जगह-जगह लगती है, उसे कौन बुझाए

जागरण संवाददाता, बरेली : एक आग का दरिया है और तैर कर जाना है..। कुछ ऐसा ही हाल मंडल मुख्यालय के अग्न

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 May 2018 02:36 AM (IST) Updated:Tue, 08 May 2018 02:36 AM (IST)
आग जो जगह-जगह लगती है, उसे कौन बुझाए
आग जो जगह-जगह लगती है, उसे कौन बुझाए

जागरण संवाददाता, बरेली : एक आग का दरिया है और तैर कर जाना है..। कुछ ऐसा ही हाल मंडल मुख्यालय के अग्निशमन दल का हाल। एक के बाद एक आग का बुझाना है लेकिन, यह बुझेगी कैसे यक्ष प्रश्न सामने खड़ा है। न पर्याप्त संसाधन, न स्टाफ। बस गाड़ी चल रही है। यह हाल तब है, जब यहां फायर ब्रिगेड में सीएफओ से लेकर डिप्टी डायरेक्टर तक बैठते हैं। मुरादाबाद मंडल तक यहां से कंट्रोल होता है।

गर्मी में आग की घटनाएं हर साल बढ़ जाती हैं, किसी से छिपा नहीं है। हाल में पुराना शहर के दो ट्रांसफार्मर फुंक गए। आग की चपेट में दो घर आए गए। इस मामूली घटना से निपटने के लिए जो मशक्कत करनी पड़ी, उससे पूरे सिस्टम की कलई खुल गई। अब बस आप एक ही दुआ करिये, धोखे से भी आग न लगे..।

45 लाख की आबादी पर महज दस गाड़ियां

जिले की आबादी की बात करें तो करीब 45 लाख से भी ज्यादा है। फायर स्टेशनों सात हैं लेकिन, संसाधन विहीन। सात फायर स्टेशनों में महज दस बड़ी गाड़ियां हैं। इसके अलावा दो छोटी गाड़ी व दो बाइकें हैं। यह है जरूरत

जिले में नौ बड़ी गाड़ियां और चाहिए। इनमें तीन महज सिटी के लिए जरूरत है। जबकि छह की जरूरत जिले के अन्य स्टेशनों पर है। एक भी एफएसओ नहीं

यह मजाक नहीं सच्चाई है। जिले में सात फायर स्टेशन हैं, लेकिन इनमें एक भी जगह फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसओ) नहीं हैं। सिटी में रजीउद्दीन पर कार्यभार है लेकिन, वह भी रिटायर होने वाले हैं। लंबे समय से बगैर एफएसओ के ही फायर स्टेशन चल रहे हैं। खुद ही समझा जा सकता है कि शासन फायर स्टेशनों को लेकर कितनी गंभीर है। स्टाफ की स्थिति

फायर मैन

- होने चाहिए- 136

- मौजूद- 56

रिक्त पद- 80 एफएसओ

- होने चाहिए- 7

- मौजूद- 0 एफएसएसओ

- होने चाहिए- 9

- मौजूद है- 1 सेकेंड अफसर

- होने चाहिए- 9

- मौजूद- 1 ड्राइवर

- चाहिए- 21

- मौजूद- 18 लीडिंग फायरमैन

- होने चाहिए- 19

- मौजूद हैं- 16 बिल्डिंग ही कंडम घोषित

फायर स्टेशन की बिल्डिंग बावजूद इसके नया भवन बनाने को शासन से बजट नहीं मिल पा रहा है। कर्मचारी टूटे-फूटे घरों में अपनी जेब से मरम्मत कराकर रह रहे हैं। इसको लेकर उनमें खासा आक्रोश है। फायर ब्रिगेड कर्मियों का कहना है कि वह दूसरे की घरों को बचाने में अपनी जान तक की बाजी लगा देते हैं। उनके घर कब गिर जाए कुछ पता नहीं। छह करोड़ मिले तो बने नई बिल्डिंग

फायर स्टेशन की बिल्डिंग बनाने के लिए छह करोड़ रुपये का बजट चाहिए। शासन को इसकी डिमांड भी भेज दी गई है। आज तक इसकी सुध नहीं ली गई। अधिकारियों ने पैरवी नहीं की। फाइल कहां धूल चाट रही है किसी को नहीं पता। इसी तरह बहेड़ी का फायर स्टेशन भी जर्जर हो चुका है। उसे बनाने के लिए तीन से चार करोड़ रुपये चाहिए। डेलापीर और ट्रांसपोर्ट नगर में फायर स्टेशन प्रस्तावित

सीएफओ बताते हैं कि शहर जिस कदर फैला है, उसके लिए डेलापीर पर एक फायर स्टेशन होना चाहिए। इसका प्रस्ताव बनाया भी लेकिन, जमीन ही नहीं मिली। वहीं ट्रांसपोर्ट नगर में फायर स्टेशन बनना है। इसके लिए वहां 42 सौ वर्ग गज जमीन चाहिए जो मिल नहीं रही है। वर्जन-------

समय-समय पर शासन को प्रस्ताव भेजे जाते हैं। यह बात सही है कि संसाधन व स्टाफ काफी कम है। इसके लिए भी शासन को लिखा जा चुका है।

-अजय गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर, फायर ब्रिगेड।

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