हलाला के चर्चित मामले में दरगाह आला हजरत का दखल

ससुर के साथ हलाला के चर्चित मामले में दरगाह आला हजरत के मरकजी दारुल इफ्ता ने पहली बार दखल दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Jul 2018 02:22 PM (IST) Updated:Fri, 13 Jul 2018 02:22 PM (IST)
हलाला के चर्चित मामले में दरगाह आला हजरत का दखल
हलाला के चर्चित मामले में दरगाह आला हजरत का दखल

जागरण संवाददाता, बरेली : ससुर के साथ हलाला के चर्चित मामले में दरगाह आला हजरत के मरकजी दारुल इफ्ता ने पहली बार दखल दिया है। विवाद सुलझाने के वास्ते मुफ्ती-ए-कराम ने मियां-बीवी दोनों को बुलाया है। मरकजी दारुल इफ्ता के मुफ्ती मुहम्मद अफजाल रजवी ने कहा कि दोनों पक्ष दारूल इफ्ता आएं। उलमा-ए-कराम के सामने अपनी बात रखें। तभी इस घटना की सच्चाई सामने आ सकेगी।

दरअसल, घटना इसलिए पेचीदा है कि एक महिला ने शौहर पर तलाक देने के बाद सुसर के साथ हलाला कराए जाने का आरोप लगाया है। शौहर का दावा है कि उसने बीवी को तलाक ही नहीं दिया तो फिर मेरे वालिद के साथ हलाला कैसे हो सकता है? उलमा की नाराजगी यह है कि इस विवाद में शरीयत को घसीटा जा रहा है, जबकि दोनों पक्ष शरई अदालत में नहीं आए। इसलिए दोनों पक्ष शरई अदालत में आएं। अगर यहां संतुष्ट न हों तो दोनों के पास कानूनी कार्रवाई का विकल्प खुला है। सुसर के साथ हलाला

घटना सुर्खा, रजा चौक की है। वसीम हुसैन और शबीना की शादी वर्ष 2009 में हुई थी। शबीना का आरोप है कि उनके पति वसीम हुसैन ने 2011 में तलाक दे दिया। इसी साल अपने पिता के साथ मेरा हलाला कराया। 2017 में फिर तलाक देकर अब भाई के साथ हलाला कराना चाहते हैं। तलाक से वसीम का इन्कार

शबीना के शौहर वसीम का कहनाहै कि मैंने तलाक ही नहीं दिया। फिर मेरे वालिद के साथ हलाला कैसे हो गया? उनका आरोप है कि उनके परिवार को बदनाम किया गया है। अगर यह साबित हो जाए कि मैंने तलाक दिया या हलाला हुआ तो मैं पूरे परिवार के साथ हर सजा भुगतने को तैयार हूं। मियां-बीवी की जंग, शरीयत पर निशाना

उलमा का कहना है कि मियां-बीवी की इस लड़ाई में शरीयत को निशाना बनाना ठीक नहीं है। वह कहते हैं कि शरीयत इंसान को सही जिंदगी जीना सिखाती है। उस पर यकीन न करने वाला ईमान से खारिज हो जाएगा। यहां जो ससुर के साथ हलाला का इल्जाम है, इसकी जांच जरूरी है। अगर यह सच है तो सबसे बड़ा गुनाह है। शौहर की हां, बीवी की न

शबीना ने शरई अदालत में जाने से साफ इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले में उलमा के पास गई थी। मेरी बात नहीं सुनी गई। इसलिए अब वहां जाने से कोई फायदा नहीं। वहीं, वसीम ने कहा कि मैं दारूल इफ्ता जाऊंगा। क्या है हलाला

शौहर-बीवी में तलाक हो जाए तो दोबारा साथ रहने के लिए हलाला होता है। इसमें औरत किसी दूसरे मर्द से शादी करती है। उससे तलाक होने के बाद ही वो अपने पहले शौहर से दोबारा निकाह कर सकती है। ससुर के साथ किसी सूरत में हलाला नहीं हो सकता है, क्योंकि बहू ससुर के लिए बेटी होती है। उलमा कहते हैं कि अगर किसी जाहिल ने ऐसा किया तो वो सबसे बड़ा गुनाह होगा।

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