गोद में खिले गाव, कुपोषण के उखड़े पाव

डीएम की सार्थक पहल के चलते अतिकुपोषित

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Jul 2018 05:15 PM (IST) Updated:Tue, 31 Jul 2018 12:15 AM (IST)
गोद में खिले गाव, कुपोषण के उखड़े पाव
गोद में खिले गाव, कुपोषण के उखड़े पाव

बरेली [अंबुज मिश्र]। पंजर के ढाचे में कमजोर काया वाली मा। अस्थियों पर चिपकी त्वचा वाले बच्चे। ऐसे ही शारीरिक भूगोल वाली महिलाएं, बच्चे कुछ माह पहले उन 88 गावों में भी नजर आते थे, जहा वजन दिवस पर तराजू में कुपोषण सरकारी योजनाओं की हकीकत पर भारी था। तस्वीर बदली एक पहल से। डीएम ने इन गावों को छाटा। खुद सहित 44 जिलास्तरीय अधिकारी चुने। दो-दो गाव गोद देकर जिम्मेदारी सौंपी। नतीजा 82 गाव से कुपोषण पूरी तरह भागा। छह अन्य दहलीज पर हैं।

--ऐसे जमीन पर उतरी कोशिशें : भविष्य की पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए मा और बच्चे दोनों का स्वस्थ होना जरूरी था। लेकिन, ज्यादातर बच्चों में कुपोषण कमजोर मा के कारण होना मिला। दोनों की नियमित स्वास्थ्य निगरानी की। डाइट चार्ट तय कर पोषित आहार दिया। कुछ दिनों बाद से ही अच्छे नतीजे दिखने लगे थे। करीब चार माह में बच्चों को कुपोषण के लाल घेरे से निकाला जा सका। विकास कार्य में भी गाव चमक उठे।

--डीएम ने भी किया काम : डीएम अमृत त्रिपाठी ने भावलखेड़ा ब्लाक के वसुलिया और नियामतपुर गाव गोद लिए थे। वसुलिया में नौ और नियामतपुर में सात बच्चे अतिकुपोषित थे। अब बसुलिया के सभी नौ, जबकि नियामतपुर के सात में से छह बच्चे सामान्य श्रेणी में आ गए। एक बच्चे के पाच माह से दिल्ली में होने के कारण मॉनीटरिंग नहीं हो सकी।

--यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ से मिलेगा मेहनत का इनाम : स्वास्थ्य चेकअप और मानकों के आधार पर 88 में से 82 के सभी बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। लेकिन अधिकारियों, कर्मचारियों को मेहनत का इनाम मिलेगा सत्यापन के बाद। यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विश्व बैंक की टीम सत्यापन कर प्रमाण पत्र जारी करेगी।

--75 अंकों की थी कसौटी : ऐसा नहीं गावों में बच्चों को भरपूर पोषित आहार देकर ही तस्वीर बदली। हर एक कोशिश, काम अंकों की कसौटी पर थे। 75 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी था। कवायद में शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्राम्य विभाग शामिल थे।

--यह है अंकों का मानक

-गर्भवती महिलाओं की सभी जाच 90 फीसदी पूरी होने पर : 15

-जन्म के एक घटे के भीतर नवजात के स्तनपान की दर 90 प्रतिशत :10

-महिलाओं, बच्चों को नियमित पोषाहार वितरण : 15

-गाव खुले में शौच मुक्त होने पर : 20

-स्वच्छ पेयजल उपलब्धता : 10

--सही दिशा में सार्थक पहल से अच्छे परिणाम : प्रभारी डीपीओ धर्मेद्र मिश्र ने बताया कि 88 गाव अतिकुपोषित दायरे में थे। सही दिशा में सार्थक पहल से अच्छे परिणाम आए हैं। पहले चरण में 75 फीसद से ज्यादा अंक लाकर 82 गाव कुपोषण मुक्त हो चुके हैं।

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