बरेली में लालफाटक पुल की जमीन के लिए नहीं देने होंगे 3.77 करोड़

लालफाटक ओवरब्रिज निर्माण के लिए छावनी क्षेत्र की जमीन हस्तांतरित कराने के बदले जिला प्रशासन को 3.77 करोड़ रुपये चुकाने थे। रक्षा मंत्रालय ने जनहित का हवाला देते हुए जमीन की कीमत लेने से इन्कार किया है। जिला प्रशासन से इक्वल वैल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत छावनी क्षेत्र में सड़क या बाउंड्रीवाल तैयार कराने के लिए कहा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 07:06 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:06 PM (IST)
बरेली में लालफाटक पुल की जमीन के लिए नहीं देने होंगे 3.77 करोड़
बरेली में लालफाटक पुल की जमीन के लिए नहीं देने होंगे 3.77 करोड़

जागरण संवाददाता, बरेली: लालफाटक ओवरब्रिज निर्माण के लिए छावनी क्षेत्र की जमीन हस्तांतरित कराने के बदले जिला प्रशासन को 3.77 करोड़ रुपये चुकाने थे। रक्षा मंत्रालय ने 'जनहित' का हवाला देते हुए जमीन की कीमत लेने से इन्कार किया है। जिला प्रशासन से 'इक्वल वैल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर' के तहत छावनी क्षेत्र में सड़क या बाउंड्रीवाल तैयार कराने के लिए कहा। डीएम नितीश कुमार ने पीडब्ल्यूडी से एक सड़क का डीपीआर तैयार कराया है, जिसे स्वीकृति के लिए रक्षा मंत्रालय भेजा जाएगा।

लालफाटक रेलवे ओवरब्रिज निर्माण में सेना की एनओसी के लिए रक्षा मंत्रालय तक पैरवी के बीच छावनी क्षेत्र की जमीन हस्तांतरण के मसले पर दो साल तक खींचतान हुई। पहले रक्षा मंत्रालय की शर्त के अनुसार प्रशासन को लालफाटक पर ओवरब्रिज के निर्माण के लिए सेना की जमीन की कीमत के बराबर जमीन मुहैया कराने पर एनओसी मिलनी थी। लाल फाटक पर सेना की 6,520 वर्गमीटर जमीन की कीमत करीब 7.25 करोड़ रुपये थी। डीएम नितीश कुमार और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मौका मुआयना के बाद पुल निर्माण के लिए सिर्फ 2,468 वर्गमीटर जमीन की जरूरत बताई। रक्षा मंत्रालय ने ओवरब्रिज के लिए सैन्य क्षेत्र की जमीन देने के बदले उतनी ही कीमत की जमीन मांगी थी। इस पर प्रशासन ने जमीन की तलाश शुरू कर दी। प्रशासन को जाट रेजीमेंट सेंटर से लगे गांव बभिया में जमीन मिल गई। अफसरों ने बभिया में जमीन चिह्नित कर रक्षा संपदा अधिकारी के प्रतिनिधि के सामने उसकी पैमाइश करा दी। बाद में सेना ने जमीन के बदले जमीन लेने से भी इन्कार कर दिया। फिर ये मामले कैंटोनमेंट बोर्ड की कार्यकारिणी के समक्ष रखा गया। बोर्ड बैठक में जमीन के बदले 3.77 करोड़ रुपये लेने पर सहमति बनी थी।

इसके बाद मसला रक्षा मंत्रालय भेजा गया। जवाब में 'जनहित' करार देते हुए कैंटोनमेंट बोर्ड के 3.77 करोड़ कीमत लेने के प्रस्ताव को खारिज करके आधारभूत संरचना को ही मजबूत कराने के लिए कहा गया। कैंट बोर्ड ने निर्देश आते ही फिर प्रस्ताव तैयार कराया। सबसे पहले सड़क और बाउंड्रीवाल का प्रस्ताव तैयार हुआ। बोर्ड ने कहा कि बाउंड्रीवाल नहीं, सड़क निर्माण कराना ही ठीक है। इसके बाद जिला प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को छावनी क्षेत्र की एक सड़क की डीपीआर तैयार कराने को लिखा। पीडब्ल्यूडी ने 3.57 करोड़ की डीपीआर तैयार करके दिया। फिर यह प्रस्ताव कैंट बोर्ड में रखा गया। आपत्ति लगने के बाद फिर प्रस्ताव वापस पीडब्ल्यूडी भेजा गया। डीपीआर 3.77 करोड़ की ही तैयार करने के लिए कहा गया। पीडब्ल्यूडी ने संशोधित प्रस्ताव दोबारा कैंट बोर्ड को भेजा है। अब कैंट बोर्ड लखनऊ कमांड आफिस को ये प्रस्ताव भेज रहा है। कमांड आफिस दिल्ली रक्षा मंत्रालय की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजेगा। स्वीकृति के बाद निर्माण शुरू हो सकेगा।

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रक्षा मंत्रलाय ने जमीन के बदले निर्माण कराने का प्रस्ताव दिया है। लोक निर्माण विभाग से डीपीआर तैयार कराकर हमने भिजवाया है। रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति आने के बाद निर्माण शुरू होंगे।

- नितीश कुमार, डीएम

सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पत्र जल्द ही कमांड आफिस भेजा जाएगा। रक्षामंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद जिला प्रशासन को जमीन दे दी जाएगी।

- विवेक कुमार, सीईओ, कैंटोनमेंट बोर्ड

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