कुपोषण मुक्त अभियान से अफसरों ने किया किनारा
कुपोषण मुक्त अभियान से अफसरों ने किया किनारा
बाराबंकी : कुपोषण मुक्त अभियान से अफसरों ने किनारा कर रखा है। कुपोषण को खत्म की दिशा में पांच विभागों को काम करना था, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहे हैं।
जिले में 50,558 कुपोषित बच्चे हैं तो 9,793 अतिकुपोषित, जबकि 143 बच्चे अति गंभीर कुपोषित हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रकाश कुमार ने बताया कि कुपोषित बच्चों के परिवारों को सरकारी सुविधाएं दिलाकर कुपोषण मुक्त करना था। योजना का उद्देश्य था इन बच्चों के अभिभावकों को राशन कार्ड, शौचालय, गांव में रोजगार तथा स्वास्थ्य टीम द्वारा जांच व इलाज की सुविधा मुहैया कराना। कहा कि इसके लिए विभागों को लक्ष्य सौंप दिया गया है। इस पर काम हो रहा है।
5,882 परिवार को नहीं दिया शौचालय
पंचायती राज विभाग ने कुपोषित बच्चों के 5,882 परिवारों को शौचालय का लाभ नहीं दिया है। विभाग के अफसरों ने कुपोषण मुक्ति की ओर से किनारा कर लिया है।
3,936 परिवारों को नहीं मिला राशन कार्ड
आपूर्ति विभाग से चिन्हित कुपोषित बच्चों के परिवार को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड देना था। परिवार का खान-पान बदल सके और राशन आसानी से मिल सके। 3,936 परिवार को इसका लाभ नहीं मिला है।
नहीं बने जॉबकार्ड
मनरेगा से गांव में ही कुपोषण के शिकार बच्चों के अभिभावकों को रोजगार दिलाया जाना था। जिन लोगों का जॉब कार्ड नहीं है, उनका जॉब कार्ड बनवाकर गांव में कार्य दिया जाता, लेकिन जॉब कार्ड बनने की प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ सकी। 12,846 अभिभावकों को जॉब कार्ड बनाकर रोजगार से नहीं जोड़ा जा सका है।
सैम बच्चों को नहीं मिला इलाज
जिले में 143 सैम (अति गंभीर कुपोषित) बच्चे हैं। इन बच्चों को पुनर्वास केंद्र पर भर्ती कराकर इलाज कराना था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान नहीं लिया।