'हुकूमत मिल गई तो सिर्फ मुजरा देखते हैं'

बाराबंकी : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में बुधवार की रात देश के नामी गिरामी शायरों ने अपने शेर, गज

By Edited By: Publish:Fri, 17 Oct 2014 12:44 AM (IST) Updated:Fri, 17 Oct 2014 12:44 AM (IST)
'हुकूमत मिल गई तो सिर्फ मुजरा देखते हैं'

बाराबंकी : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में बुधवार की रात देश के नामी गिरामी शायरों ने अपने शेर, गजल और कलाम पेश किए। कार्यक्रम का शुभारंभ ग्राम्य विकास राज्यमंत्री अर¨वद कुमार ¨सह गोप एवं वन मंत्री फरीद महफूज किदवई ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

मुशायरे में प्रख्यात शायर राहत इंदौरी ने पढ़ा 'बन के एक हादसा बाजार में आ जाए, जो नहीं होगा वह अखबार में आ जाए'। आगरा के शायर अनवर जमाल ने पढ़ा 'हम जरा क्या इधर निकल आए, आपके बालों पर निकल आए'। दिल्ली के शायर इकबाल मशहर ने पढ़ा 'रतजगों अब कहां से लाओगे दास्ताने सुनाने वाले लोग, अब जो रोते हैं राख पर बैठे, थे यही घर जलाने वाले लोग'। मध्य प्रदेश के शायर नईम अख्तर ने अपने गजल 'अंधेरों को तो यही खल रहा है, जिया मेरा हवा में जल रहा है' पढ़कर वाहवाही लूटी। शायर उस्मान मिनाई ने पढ़ा कि 'इलेक्शन तक गरीबों का जो हुजरा देखते हैं, हुकूमत मिल गई तो सिर्फ मुजरा देखते हैं' पर लोगों ने खूब दाद दी। बिहार के सुनील कुमार तंग ने अपनी गजल 'इक मंजिल के मुसाफिर हैं यकीनन हम तुम, बस वहीं ठहर जाएंगे जाते-जाते'। भोपाल की शायर नुशरत मेंहदी ने पढ़ा है 'गुजारिश कि न औरत को बेचारी लिखिए। लिख सके तो सही तारीख हमारी लिखिए'। मुशायरे में देवबंद के शायर नदीम शाह, रामपुर के तनवीर फराज, आजमगढ़ से पधारे तस्गर आजमी, फारुक आदिल सहित कई अन्य शायरों ने अपने गजल, शेर एवं कलाम पढ़े। मुशायरे का संचालन अनवर जलालपुरी एवं अध्यक्षता ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू फारसी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. खान मसूद ने किया। इस मौके पर चौधरी हबीब, तालिब नजीब कोकब, गयासुद्दीन किदवई, हशमत उल्लाह, अताउर्रहमान किदवई, तौकीर कर्रार सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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