उगवे सूरज मुखवा अरघ की बेर भई

बाराबंकी: छठ पर्व मंगलवार को धूमधाम के साथ जिले भर में उत्साहपूर्वक मनाया गया। नागेश्वर नाथ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 11:03 PM (IST)
उगवे सूरज मुखवा अरघ की बेर भई
उगवे सूरज मुखवा अरघ की बेर भई

बाराबंकी: छठ पर्व मंगलवार को धूमधाम के साथ जिले भर में उत्साहपूर्वक मनाया गया। नागेश्वर नाथ सरोवर, चिलहटा घाट, रेठ नदी, आवास विकास, राजपुरम कॉलोनी, ओबरी, पीएसी परिसर में श्रद्धालुओं ने विधि विधान पूर्वक पूजा. अर्चना कर सूर्य भगवान को अ‌र्घ्य दिया। नागेश्वर नाथ सरोवर व चिलहटा घाट पर शाम को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटी। डूबते सूर्य को श्रद्धालुओं ने अ‌र्घ्य दिया।

छठ माई के गीत गए। छठ गीत बांस ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, ससुर पहनों न पियरिया, अरघिया के बेर भई, उगवे सूरज मुखवा अरघ की बेर भई घरों व घाटों पर गाए गए। बंकी से ढोल बाजा के साथ चिलहटा घाट रेठ नदी पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर सूर्य भगवान को अ‌र्घ्य दिया। यहां राम नाथ मौर्य, वीरेंद्र प्रधान, ज्ञान प्रकाश मिश्रा, सुनील मौर्य, उदय प्रताप ¨सह, सूर्यपाल वर्मा, कुसुम वर्मा, किरन तिवारी, सूर्य लाल वर्मा ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। इसके अलावा सतीश जायसवाल, सुनील जायसवाल, नीलू जायसवाल, अजीत झा, बेबी झा, रूकमणी झा, पंकज जायसवाल, पुष्पा मिश्रा, रामजानकी मिश्रा, रमा ¨सह, वर्षा त्रिवेदी, सपना पाठक, साधना श्रीवास्तव, ¨रकू झा आदि ने पहुंचकर अ‌र्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने बताया कि छठ महापर्व का ¨हदू धर्म में विशेष स्थान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह व्रत बडे़ नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य को विधि पूर्वक पूजा करके अ‌र्घ्य देते हैं। सप्तमी के प्रात: काल नदी या तालाब पर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजा कि जाती है। शहर के राजपुरम कॉलोनी में सुशीला देवी, शिवम ¨सह, पंकज ¨सह, प्रीति शर्मा, पूजा ¨सह, विशाल ¨सह आदि ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजा अर्चना की। घाघरा नदी के घाटों पर भी छठ पूजा मनाई गई।

chat bot
आपका साथी