कहां धोए जाते हैं ट्रेनों में मिलने वाले चादर और कंबल? कोई नहीं दे रहा जवाब, सुखाने की जगह देख आप होंगे हैरान
रेलवे जंक्शन से शुरू होने वाली ट्रेन आला हजरत एक्सप्रेस समेत जिन ट्रेनों के एसी कोच में कंबल तकिए चादर और तौलिया दिए जाते हैं वे धुलने के बाद जहां पर रखे जाते हैं उसे देखकर आप प्रयोग करने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
बरेली, जागरण संवाददाता: रेलवे जंक्शन से शुरू होने वाली ट्रेन आला हजरत एक्सप्रेस समेत जिन ट्रेनों के एसी कोच में कंबल, तकिए, चादर और तौलिया दिए जाते हैं, वे धुलने के बाद जहां पर रखे जाते हैं, उसे देखकर आप प्रयोग करने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। एक माह बाद उतारे जाने वाले कंबलों को कहां पर धुला जाता है और कहां सुखाया जाता है। इसके लिए कहां पर मशीनें लगी हैं। इस बारे में रेलवे कर्मचारी और अधिकारी बताने से बच रहे हैं, जबकि सच यह है कि चादरों और तकिया कवर धुलने के बाद उन्हें गंदे स्थानों पर सुखाया जा रहा है।
ट्रेनों के फर्स्ट एसी, सेकंड एसी और थर्ड एसी कोच में यात्रियों को दो चादर, तकिया कवर, तौलिया और कंबल दिया जाता है। कंबलों को प्रतिमाह कम से कम एक बार धुलवाना या फिर ड्राइक्लीन कराना होता है। ट्रेनों में चलने वाले कोच अटेंडेंट को गिनकर ही चादर, तकिया कवर, तौलिया और कंबल दिए जाते हैं। तकिया कंबल कम होने या चोरी पर ठेकेदार से रुपये काट लिये जाते हैं। एक साल पूरी होने पर या फट जाने पर उन्हें कंडम घोषित कर दिया जाता है।
ट्रेनों से उतारे गए कंबल और तकियों को एक गाड़ी से गणेश नगर स्थित एक लांड्री में ले जाया जाता है, जहां पर धोने और सुखाने का काम किया जाता है। नियम यह है कि चादर, तकिया, कंबल और तौलिया को प्रयोग करने के बावजूद उन्हें जमीन पर नहीं रखा जाएगा। यही वजह है कि जंक्शन पर स्थित बेडरोल कक्ष में रैक बनाई गई हैं, जिनमें चादरों और कवर को रखना चाहिए। धुलकर आने वाले कपड़ों के पैकेट भी इन्हीं में रखे जाते हैं।
हैरानी की बात यह है कि गणेशनगर स्थित जिस लांड्री में तकिया कवर, चादर, तौलिया और कंबल धुलने का ठेका दिया गया। वहां निरीक्षण करने की रेलवे अधिकारी जहमत नहीं उठाते हैं। गणेशनगर में खाली पड़े तीन प्लाटों में कपड़ों को सुखाया जाता है, जिनमें कूड़ा करकट जमा है।
लांड्री में काम करने वाले कर्मचारी चादर, तकिया कवर, तौलिया धुलने के बाद जमीन पर रख देते हैं, जिससे उनके स्वच्छ रहने की उम्मीद कम बचती है। रेलवे के नियम के अनुसार, कपड़ों को इस तरह नहीं रखना चाहिए।
खराब कंबल ओढ़ने से बीमार पड़ गए थे लोग
ट्रेनों में मिलने वाले खराब कंबल ओढ़ने से कई यात्री बीमार हो गए थे। इसकी शिकायत यात्रियों ने की तो रेलवे ने तत्काल इसका संज्ञान लिया और मामले की जांच कराई। इसके बावजूद बरेली में चादर, कंबल आदि को धोने से लेकर सुखाने तक नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है।
जंक्शन पर है कंबल सेनेटाइज करने का कक्ष
रेलवे जंक्शन पर बने बेडरोल कक्ष में कंबलों को सेनेटाइज करने के लिए कक्ष भी बना है। उसका प्रयोग कब और कैसे किया जाता है। यह वहां पर तैनात कर्मचारी बता भी नहीं सके। बेडरोल कक्ष में तीन रैक भी हैं, जिनमें चादर, कंबल, तकिया कवरों को रखा जाता है। इसके अलावा इनके प्रयोग के बारे में जानकारी देने के लिए बोर्ड भी लगे हैं।
जानें इन ट्रेनों में कब बदले गए कंबल
ट्रेन संख्या 14321 आला हजरत में छह जनवरी को कोच संख्या बी-1 में 80 धुले हुए कंबल दिए गए। 77 कंबलों को धुलाई करने के लिए दिया गया। एक कंबल कंडम निकला। ट्रेन संख्या 14322 आला हजरत के कोच संख्या बी-2 में 80 कंबल बदले गए, जिनकी धुलाई आठ जनवरी को की गई।
कोच बी-3 में एक कंबल कम मिला। ट्रेन संख्या 14322 आला हजरत में बी-2 कोच के कंबल बदले गए, जिनकी धुलाई नौ जनवरी को की गई। इसी तरह अन्य ट्रेनों और कोच में कंबलों को बदला जाता है। कंबलों को ड्राइक्लीन करने के लिए मशीन कहां लगी है, इस बारे में रेलवे कर्मचारी बताने से भी बचते हैं।