चार साल में बढ़े सिचाई व पेयजल संसाधन

जागरण संवाददाता बांदा सिचाई व पेयजल से जुड़े विभागों ने अपना लेखा-जोखा पेश किया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 12:14 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 12:14 AM (IST)
चार साल में बढ़े सिचाई व पेयजल संसाधन
चार साल में बढ़े सिचाई व पेयजल संसाधन

जागरण संवाददाता, बांदा : सिचाई व पेयजल से जुड़े विभागों ने अपना लेखा-जोखा पेश किया। अधिकारियों ने कहा कि चार सालों में पेयजल व सिचाई के संसाधन बेहतर हुए हैं।

नवाब टैंक स्थित सिचाई विभाग के डाक बंगले में नोडल विभाग केन नहर प्रखंड के अधिशासी अभियंता अरविद कुमार पांडेय की अगुवाई में लघु सिचाई, 16वीं शाखा जल निगम, लघु डाल नहर खंड, नलकूप खंड, केन नहर प्रखंड, सिचाई प्रखंड तृतीय, अनुसंधान एवं नियोजन व जल संस्थान के अधिकारियों ने चार सालों में खंडवार हासिल उपलब्धियों को गिनाया।

लघु सिचाई विभाग- किसानों को फसल की सिचाई के लिए सात निश्शुल्क बोरिग, 190 मध्यम गहरी बोरिग, 39 गहरी बोरिग, 15 सामूहिक नलकूप, 76 तालाब, 119 चेकडैम बनाए गए।

जल निगम-1083 नए हैंडपंपों की स्थापना, 917 हैंडपंपों का रिबोर, 2477.11 लाख की लागत से पांच नई पेयजल योजनाओं को पूर्ण कर 39013 लोगों को लाभांवित किया गया।

लघु डाल नहर खंड- दस पंप नहर, औगासी मध्यम पम्प नहर, नौ लघु डाल नहर, त्रिवेणी पंप नहर, कनवारा, दौलतपुर, अलोना, काजीपुर, मदनपुर, जौहरपुर, गुढ़ाकला, भदावल पंप नहर, इस साल 10 फरवरी तक 5587 हेक्टेअर में सिचाई की गई। किसानों की मांग पर नहरें चलाई जा रही हैं। वर्ष 2017-18 में बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की संभावित स्थिति से निपटने के लिए लघु डाल नहरों पर 24 घंटे सिचाई व्यवस्था के लिए लघु डाल नहरों पर जीर्ण-शीर्ण उपकरणों को बदला गया।

नलकूप खंड-यह खंड 1968 से संचालित है। जिले में अब तक कुल 777 राजकीय नलकूपों की स्थापना की गई। पिछले साल एक अप्रैल तक 656 राजकीय नलकूप क्रियाशील रहे। जिनके माध्यम से किसानों को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। खरीफ में 3510 हेक्टेअर, रबी में 26047 हेक्टेअर की सिचाई की गई है।

केन नहर प्रखंड- विभाग द्वारा रबी तथा खरीफ में चार सालों के अंदर 442246 हेक्टेअर की सिचाई की गई। लगभग 590 गांव के किसानों को सिचाई की सुविधा दी गई है। 410 तालाबों को हर साल गर्मियों में भरवाकर पशु व पक्षियों को पेयजल मुहैया कराया जाता है। 2017-18 में 1595.984 किमी. नहरों में सिल्ट सफाई का कार्य कराया गया। जलाशयों में जल उपलब्धता के अनुसार हर खेत को पानी पहुंचाया गया। वर्ष 2017-18 में आवागमन के लिए 11.115 किमी नहरों के सेवा मार्गों को गड्ढ़ा मुक्त किया। अगले वित्तीय वर्ष में 461 पुलियों का जीर्णाेद्धार व निर्माण प्रस्तावित है।

सिचाई प्रखंड तृतीय- चार साल में 40547 हेक्टेअर की सींच की गई। इसमें लगभग 49531 किसानों को लाभ पहुंचा। मुख्य नहर के द्वारा केन नहर प्रणाली को जलाशयों में जल की उपलब्धता कराई गई। अगले वित्तीय वर्ष में 53 पुल-पुलिया का जीर्णोद्धार व निर्माण कार्य प्रस्तावित है।

अनुसंधान व नियोजन खंड-इस खंड द्वारा सर्वेक्षण व अनुसंधान का कार्य कराया जाता है। चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदों का सर्वेक्षण इसी खंड द्वारा किया जाता है। चार साल में रैपुरा पंप कैनाल का सर्वेक्षण किया गया। तीन वर्षों के लक्ष्य के सापेक्ष पौधारोपण हुआ।

जल संस्थान- पेयजल योजनाओं का संचालन व अनुरक्षण का कार्य जल निगम द्वारा किया जाता है। जल संस्थान को नगरीय व ग्रामीण योजनाओं के संचालन व अनुरक्षण के लिए बजट नहीं मिला। जिससे पेयजल आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने में कठिनाई हो रही है।

इस मौके पर अधिशासी अभियंता शिवप्रताप सिंह, शरद चौहान, ज्ञानेश कुमार, अरविद कुमार पांडेय, मोतीलाल वर्मा, संजय कुमार, जेई पवन कुमार, सहायक अभियंता सुशील कुमार आदि मौजूद रहे।

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