डेढ़ करोड़ के कोच डिस्प्ले फांक रहे धूल

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के रेलवे स्टेशन को भले ही ए श्रेणी की सूची में स्थान मिल गया

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Sep 2018 10:44 PM (IST) Updated:Mon, 03 Sep 2018 10:44 PM (IST)
डेढ़ करोड़ के कोच डिस्प्ले फांक रहे धूल
डेढ़ करोड़ के कोच डिस्प्ले फांक रहे धूल

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के रेलवे स्टेशन को भले ही ए श्रेणी की सूची में स्थान मिल गया हो पर व्यवस्थाओं पर विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही का ही बोलबाला है। प्लेटफार्म में कौन सा कोच कहां पर लग रहा है, इसकी जानकारी के लिए रेलवे डिसप्ले कोच बोर्ड लगाए हुए हैं। यह डिसप्ले बोर्ड सर्व प्रथम वर्ष 2006 में लगाए गए थे। इसके बाद समय-समय पर जैसे प्लेटफार्म का विस्तार होता रहा तो गाड़ी की जानकारी दिखाने के लिए भी डिसप्ले बोर्ड लगा दिए गए। डेढ़ करोड़ की इस योजना का लाभ शायद ही कभी यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को मिला हो, क्योंकि अक्सर ही यह बंद या हर समय डिसप्ले बाक्स में बांदा ही लिखा होता है। रेलवे स्टेशन में कोच डिसप्ले बोर्डों की संख्या पर बात की जाए तो तो प्लेटफार्म-एक में 21 व प्लेटफार्म-दो में 18 लगे हैं।- तकनीकी खराबी दूर करने का चल रहा प्रयास :

बांदा : शो-पीस बने डिसप्ले बोर्डों के बार में जब रेलवे एसएसई टेलीकाम के प्रभारी अजय कुमार निराला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ तकनीकी खराबी के चलते यह कोच डिसप्ले बोर्ड काम नहीं कर रहे हैं। जल्द ही तकनीकी खराबी को ठीक कर यात्रियों को सुविधा प्रदान की जाएगी। अक्सर होती परेशानी, कभी छूट जाती ट्रेन

बांदा : सुनील गुप्ता ने बताया कि अक्सर यह होता है गाड़ी आने वाली है और कोच पता न होने की स्थिति में इधर-उधर खड़े जाते हैं। जब ट्रेन खड़ी हो जाती है तो अपने कोच तक पहुंचने के लिए परेशान होना पड़ता है।

जीतेंद्र कुमार ने कहा कि डिसप्ले बोर्ड न चलने की स्थिति में कई बार ऐसा होता है कि जब सवारी बैठाना होता है तो कोच की जानकारी न होने पर भाग कर कोच तक जाना पड़ता है। जिससे कई बार हादसे का शिकार भी बनना पड़ता है।

विवेक ¨सह बतातें हैं कि समस्या तब ज्यादा समझ में आती है जब दिल्ली व मुंबई की गाड़ी से यात्रा करना हो या फिर घर की सवारी बैठाना हो, क्योंकि इन ट्रेनों में भीड़ ज्यादा होती है और कोच की जानकारी नही होती है कि कहां लगेगा।

राकेश कुमार की सुने तो वह कहते हैं कि भीड़ में अक्सर जल्दबाजी के चलते कई बार यात्री अपना सामान प्लेटफार्म पर ही भूल जाते हैं। यदि डिसप्ले चलें तो परेशानी न होगी, क्योंकि सभी अपने-अपने लगने वाले कोच के स्थान पर ही गाड़ी का इंतजार करेंग

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