किसानों के खेत निगल रही राप्ती, प्रशासन मौन

बाढ़ की विभीषिका हर वर्ष तबाही मचाती है। राप्ती की कटान से तटवर्ती गांवों के लोगों की दुनिया उजड़ जाती है। जिसे दोबारा बसाने में वर्षों लग जाता है। तमाम लोग बेघर हो जाते हैं लेकिन इनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कोई आगे आता है और न ही कटान रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किए जाते हैं। राप्ती नदी राजस्व गांव रामनगर के पश्चिमी छोर पर कटान कर रही है। कवच बनकर खड़ा बेलहा-गौरा मार्ग पर संकट मंडराने लगा है। संबंधित विभाग बेखबर है। करमहना गांव के पास तटबंध काटकर रास्ता बनाया गया था। जिसकी पटाई नहीं कराई जा सकी है। इसी जगह पर नदी कटान कर रही है। नदी के कटान को देखकर लोग भयभीत है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 10:54 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 10:54 PM (IST)
किसानों के खेत निगल रही राप्ती, प्रशासन मौन
किसानों के खेत निगल रही राप्ती, प्रशासन मौन

बलरामपुर: बाढ़ की विभीषिका हर वर्ष तबाही मचाती है। राप्ती की कटान से तटवर्ती गांवों के लोगों की दुनिया उजड़ जाती है। जिसे दोबारा बसाने में वर्षों लग जाता है। तमाम लोग बेघर हो जाते हैं, लेकिन इनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कोई आगे आता है और न ही कटान रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किए जाते हैं। राप्ती नदी राजस्व गांव रामनगर के पश्चिमी छोर पर कटान कर रही है। कवच बनकर खड़ा बेलहा-गौरा मार्ग पर संकट मंडराने लगा है। संबंधित विभाग बेखबर है। करमहना गांव के पास तटबंध काटकर रास्ता बनाया गया था। जिसकी पटाई नहीं कराई जा सकी है। इसी जगह पर नदी कटान कर रही है। नदी के कटान को देखकर लोग भयभीत है। किसानों की जमीन निगल चुकी है राप्ती

-रामनगर के अलखराम की कृषि योग्य जमीन राप्ती के आगोश में समा चुकी है। गोविद की पांच बीघा, साधूशरण का दस एकड़ भूमि, लालबाबू को दो एकड़, प्रमोद, पवन, जितेंद्र, अजय का दो एकड़ भूमि नदी में समा चुकी है। इन किसानों की परेशानी सुनने के लिए जनप्रतिनिधि भी आगे नहीं आ रहे हैं। बाढ़ खंड के अधिकारी भी धरातल पर उतरना नहीं चाहते हैं। जिससे किसानों की धुकधुकी बढ़ गई है।

मार्ग से 50 मीटर दूर बह रही है नदी

-बेलहा-गौरा मार्ग से राप्ती नदी 50 मीटर की दूरी पर बह रही है। ग्राम प्रधान वीरेंद्र पाल वर्मा का कहना है कि बाढ़ के समय राप्ती की एक धारा भकचहिया गांव की ओर बहती है। जिससे रामनगर, भचकहिया, डपकी, कोड़री, मिर्जापुर, नेवादा, मन्नीजोत गांव प्रभावित होते हैं। खरीफ की फसले बर्बाद हो जाती हैं। यदि यहां नदी ने सड़क को भेद लिया तो बलुवा, बरगदही, रानीजोत, पाला, लालजोत, भगवानपुर गांव के साथ तुलसीपुर मार्ग भी चपेट में आ सकता है। प्रधान प्रतिनिधि प्रहलाद यादव बताते हैं कि करमहना गांव को भी खतरा है। तटबंध की मरम्मत भी नहीं हो सकी है। पुराना बांध पूर्व में ही नदी में समा चुका है। नदी की धारा नए तटबंध की ओर बढ़ रही है।

जिम्मेदार के बोल

-बाढ़ खंड के एसडीओ रजनीकांत का कहना है कि बजट की डिमांड की जा चुकी है। बजट मिलते ही बचाव कार्य कराया जाएगा।

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