बच्चों की राह निहारते पथरा जाती हैं आंखें

बलरामपुर : मिसिंग बच्चों की तलाश के लिए मिसिंग सेल है, लेकिन उसके बाद भी बच्चों की तलाशने में पुलिस

By Edited By: Publish:Thu, 16 Oct 2014 11:36 PM (IST) Updated:Thu, 16 Oct 2014 11:36 PM (IST)
बच्चों की राह निहारते पथरा जाती हैं आंखें

बलरामपुर : मिसिंग बच्चों की तलाश के लिए मिसिंग सेल है, लेकिन उसके बाद भी बच्चों की तलाशने में पुलिस दूसरों के सहारे रहती है। अपने कलेजे के टुकड़ों की तलाश में घर-बार छोड़ माता-पिता बैरागी हो जाते हैं। आस्था में मंदिर, मस्जिद व ज्योतिष गुरुओं तक फरियाद कर बच्चों की सलामती की दुआ मांगते हैं। राह देखते-देखते उनकी आंखें पथरा जाती हैं। जिले में तीन साल में 44 बच्चे गायब हुए इसमें 40 बच्चे मिल गए हैं। अभी भी चार बच्चे गायब हैं। जिनकी तलाश पुलिस व परिवार के लोग कर रहे हैं।

केस एक - थाना पचपेड़वा क्षेत्र के ग्राम करहिया निवासी घिर्रे की छह वर्षीय बेटी खुशनुमा परिवार के सदस्यों के साथ देवा मेला बाराबंकी गई थी। वहां पानी लेने के लिए निकली मेला में ही गायब हो गई। सात दिन से उसक तलाश की जा रही है। बाराबंकी जिले में उसके गायब होने की सूचना भी दर्ज कराई है लेकिन अभी पता नहीं चला है। घिर्रे के करीबी स़ुहेल ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर घिर्रे अपने बच्चों के बाबा के यहां गए थे। घिर्रे के तीन बेटियां है। दूसरे नंबर वाली बेटी खुशनुमा मेला में डेरा से कुछ कदम आगे पानी के लिए गई थी। लौटते समय भटक गई। गांव के छह लोग देवा मेला में ही उसकी खोज कर रहे हैं। माता-पिता रो-रोकर परेशान है। बेटी के आने की आस में दरवाजे के बाहर टकटकी लगाए बैठे रहते हैं। घिर्रे बच्ची का मुखड़ा याद कर रोने लगते हैं।

केस दो - थाना सादुल्लाहनगर के ग्राम भिखा निवासी कमलेश कुमार का तेरह वर्षीय बेटा अनुज कुमार स्कूल न जाने की जिद में घर छोड़ भाग गया। तीन मार्च 2013 को उसके घर छोड़ने की घटना के बाद परिवार के लोगों ने तलाश की लेकिन नहीं मिला। माता पिता का बेटे की याद में टूट से गए। बाबा भीखम ने बताया कि आठ माह तक अनुज की तलाश की गई। एक बाबा (गुरू) के पास गए बेटा अनुज ने फोन कर गोरखपुर में होने की सूचना दी। उसकी सूचना पर सादुल्लाहनगर की पुलिस की मदद से बेटे को घर लाया गया। इस आठ माह में कोई ऐसा पल नहीं रहा होगा जब उसकी याद न आई हो। अनुज पढ़ाई न करने की जिद कर रहा था। जबरन स्कूल भेजने के कारण वह घर छोड़ भाग गया था। इससे यह सीख मिली पर अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए।

गायब या लापता होने वाले बच्चों के वापस घर आने पर उन्हे पढ़ाई आदि की सहायता के लिए मिसिंग चाइल्ड एलर्ट द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। घर वापस लौटने वाले बच्चों का चयन कर सहयोग दिया जाता है। कुछ बच्चों को तो छोटे रोजगार के लिए आर्थिक मदद की जाती है। मिसिंग चाइल्ड एलर्ट ऐसे लोगों की भी सहायता करती है। जिनके परिवार का कोई बच्चा मिसिंग हुआ हो। उसमें पुन: ऐसी घटना न घटे उन्हे भी मदद दी जाती है।

- संजय पांडेय

जिला कोआर्डीनेटर

मिसिंग चाइल्ड एलर्ट

जिले में पिछले तीन साल में लापता 44 में से 40 बच्चों की बरामदगी सेल की सक्रियता से ही हुआ है। बच्चों को परिजनों को सौंपा गया है। थानों से गुमशुदा बच्चों की रिपोर्ट मिसिंग सेल में नियमित संकलित की जाती है। बच्चों की गायब होने की सूचना पर त्वरित कार्रवाई की जाती है।

- श्रीश्चंद्र

क्षेत्राधिकारी, सदर

chat bot
आपका साथी