प्रवासियों ने हालात से किया समझौता, ताकि परिवार को खिला सके रोटी
रुचि के विपरीत मिला काम न ही पा रहे शहरों जैसा दाम
बलरामपुर : वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों को घरों को लौटने पर विवश कर दिया। अब गांव में लोगों को रूचि के विपरीत काम करना पड़ रहा है। जीवन भर अंगूर बेचने वाले हाथों ने बुढ़ापे में तसला थाम लिया है। यहीं नहीं, अपनी कारीगरी का जलवा दिखाने वाले हुनरमंद अब यहां फावड़ा व गैती पकड़कर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। हुनर के मुताबिक काम व दाम न मिलने से प्रवासी परेशान है, उन्हें गांवों से लगाव तो है, लेकिन कमाई का मोह एक बार फिर शहरों की रुख करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस बात की भी कसक है कि यहां उनके हुनर की पहचान नहीं मिल सकेगी। जितनी कमाई वहां थी, यहां नहीं हो पाएगी।इसलिए शहर तो लौटना ही पड़ेगा। कमाई व रुतबा पाने की कसक
-ग्रामपंचायत गंगापुर लखना बांध निर्माण के लिए 75 मजदूर मिट्टी खोदाई कर रहे हैं। ग्राम प्रधान राजेंद्र पांडेय ने बताया कि गांव में आए प्रवासियों को रोजगार देने के लिए कमरिहवा तालाब के चारों तरफ बांध निर्माण के लिए मिट्टी खोदाई शुरू करा दी गई है। विभिन्न शहरों से आए 15 प्रवासी मजदूरी कर रहे हैं। तालाब के चारों तरफ पौधारोपण कराया जाएगा। मजदूरी कर रहे मुंबई से आए महेंद्र ने बताया कि यहां रोजगार तो मिल गया, लेकिन जो रुतबा व कमाई वहां थी, यहां नहीं मिल पाएगा। सूरत से आए राघवराम कहते हैं कि यह भी दिन याद रहेंगे जब उन्हें दिन काटने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। मगर परिवारजन की जीविका चलाने के लिए हालात से समझौता करना पड़ रहा है।