सियासत की पिच पर महिलाओं पर भरोसा जताने से कतराते हैं दल

बलरामपुर आधी आबादी को स्वावलंबी बनाने के लिए योजनाओं की भरमार है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Jan 2022 12:02 AM (IST) Updated:Fri, 21 Jan 2022 12:02 AM (IST)
सियासत की पिच पर महिलाओं पर भरोसा जताने से कतराते हैं दल
सियासत की पिच पर महिलाओं पर भरोसा जताने से कतराते हैं दल

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर :

आधी आबादी को स्वावलंबी बनाने के लिए योजनाओं की भरमार है, लेकिन सियासत की पिच पर राजनीतिक दल महिलाओं पर भरोसा नहीं जता पा रहे हैं। सपा ने दो बार 2002 व 2007 में बलरामपुर सदर सीट से गीता सिंह को उम्मीदवार बनाया था। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने तुलसीपुर विधानसभा सीट पर जेबा रिजवान को मैदान में उतारा था। भाजपा और बसपा ने विधानसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी को चुनावी समर में नहीं उतारा है। जबकि चारों विधानसभा में 730008 महिला वोटर हैं।

पिछले चुनावों पर नजर डाले तो, महिला विधायकों का नाम सूची में कम दिखता है। 1974 से 2017 तक के चुनाव में बलरामपुर सदर विधानसभा से सपा ने गीता सिंह पर दांव लगाया। इसमें पहली बार 2002 में गीता सिंह ने जीत दर्ज कर विधायक बनी। 2007 के चुनाव में पार्टी ने दूसरी बार भरोसा करते हुए सदर से ही गीता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन इस बार बसपा के धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू ने सपा की साइकिल की हवा निकाल दी और चौथे स्थान पर पहुंचा दिया। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने जेबा रिजवान को टिकट दिया जो भाजपा के कैलाश नाथ शुक्ल से चुनाव हार गईं। टिकट के लिए दावेदारी हर बार की तरह इस बार भी भाजपा, सपा व कांग्रेस में महिलाओं ने की है। संगठन में महिलाएं हैं सक्रिय :

यह हाल तब है जब सभी दलों में महिलाएं संगठन को मजबूत करने के लिए बूथ स्तर तक पसीना बहा रही हैं। भाजपा, सपा, कांग्रेस व बसपा में महिला मोर्चा सक्रिय हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार मैदान में उतारा है, लेकिन विधानसभा में किनारा किए हैं। पंचायत व नगर निकाय चुनाव में आरक्षण व्यवस्था होने के कारण आधी आबादी का प्रतिनिधित्व दिखता है। जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख व नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी महिलाएं संभाल रहीं है। विधानसभा वार महिला मतदाता :

- तुलसीपुर - 174034

- गैंसड़ी - 168226

- उतरौला - 195328

- बलरामपुर - 192420

chat bot
आपका साथी