अब गांवों में होगी एचआइवी की जांच

बलरामपुर : उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एचआइवी पॉजिटिव महिला के गर्भ में पल रहे ब

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jun 2017 12:02 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jun 2017 12:02 AM (IST)
अब गांवों में होगी एचआइवी की जांच
अब गांवों में होगी एचआइवी की जांच

बलरामपुर : उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एचआइवी पॉजिटिव महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को एचआइवी से बचाने के लिए लिए विशेष पहल की गई है। इसमें स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक ऐसी किट तैयार की गई है जिसका प्रयोग करके एएनएम ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस बीएचएनडी केंद्र पर गर्भवती महिला का पंजीकरण होते ही उसके एचआइवी की जांच कर सकेगी। इसमें एचआइवी की पुष्टि होने पर चिकित्सक विशेष देखभाल व इलाज के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाया जा सकेगा। यूपी एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एचआइवी की जांच के लिए जिले में तीन तरह के आइसीटीसी, एफ-आइसीटीसी व पीपीसीटीसी सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। आइसीटीसी केंद्र पर स्त्री व पुरुष एवं एफ-आइसीटीसी व पीपीसीटीसी सेंटर पर पुरूष व महिलाओं के साथ शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के एचआइवी की जांच की जाती है। अब विभाग द्वारा प्रत्येक बुधवार व शनिवार को गांवों में होने वाले ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस बीएचएनडी पर गर्भवती महिला का पंजीकरण होते ही उसके एचआइवी की जांच किए जाने की तैयारी में लगा है। जिससे प्राथमिक स्तर पर ही गर्भवती महिला में एचआइवी की पुष्टि की जा सके। उसके एचआइवी पॉजिटिव पाए जाने पर बच्चे का इलाज कर उसे बीमारियों से बचाया जा सके। अबतक यह सुविधा एफआइसीटीसी व पीपीसीटीसी सेंटर पर ही उपलब्ध है। इस योजना को लागू करने के लिए जिला स्तर पर एएनएम का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है।

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- यहां होती है गर्भवती महिलाओं के एचआइवी की जांच जिले में गर्भवती महिलाओं में एचआइवी की जांच के लिए कुल पांच केंद्र संचालित हैं। इसमें जिला महिला चिकित्सालय में पीपीसीटीसी एवं उतरौला, शिवपुरा, पचपेड़वा व रेहराबाजार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर संचालित एफ-आइसीटी सेंटर पर गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की जांच नहीं हो पाती है।

- पहले तीन महीने में ही शुरू होना चाहिए इलाज

जिला क्षय रोग अस्पताल के टीबी-एचआइवी के जिला समंवयक महेंद्र शुक्ल बताते हैं। कि गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान महिला में एचआइवी की पुष्टि होने पर उसके गर्भ में पहल रहे बच्चे को दवाओं के माध्यम से एचआइवी पॉजिटिव होने से बचाया जा सकता है। इसके बाद जैसे-जैसे गर्भावस्था की अवधि बढ़ती है उसी तरह दवाओं के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे को एचआइवी पॉजिटिव होने से बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

बीएचएनडी केंद्र पर गर्भवती महिला का पंजीकरण होने के साथ ही उसके एचआइवी की जांच किए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिला स्तर पर एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद यही एएनएम ब्लॉक की अन्य एएनएम को प्रशिक्षण देंगी। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।

- डॉ. एके ¨सघल

जिला क्षय रोग अधिकारी

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