कताई मिल को चलाने के लिये 22 वर्षों से आंदोलन
जागरण संवाददाता रसड़ा (बलिया) प्रदेश सरकार उद्योगों के कायाकल्प को लेकर गंभीर नहीं ह
जागरण संवाददाता, रसड़ा (बलिया) : प्रदेश सरकार उद्योगों के कायाकल्प को लेकर गंभीर नहीं है। इसी वजह से रसड़ा कताई मिल की बदतर हालत है। 22 वर्ष से बंद पड़ी मिल को चालू कराने को लेकर आंदोलित सैकड़ों श्रमिक आज भी उम्मीद लगाए हुए हैं। कई बार प्रदर्शन करने के बावजूद शासन स्तर से कोई कदम नहीं उठाया गया। मिल परिसर में लगी महात्मा गांधी की मूर्ति पर धूल जमी है। रसड़ा के नागपुर गांव के समीप 90 एकड़ जमीन पर 23 करोड़ से 10 अगस्त 1986 को मिल की स्थापना हुई थी। 1500 श्रमिक कार्य करते थे। हजारों लोगों की रोटी-रोटी चलती थी। मिल को बीमार व घाटे का उपकरण दिखाकर मार्च 1999 में बंद कर दिया, तब से सभी श्रमिक बेकार होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
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300 श्रमिकों को दिया मुआवजा
मिल प्रबंधन ने 1500 मजदूरों में से मात्र 300 मजदूरों को छटनी का मामूली मुआवजा देकर सेवामुक्त कर दिया। मिल श्रमिकों ने बोनस, फंड और सेवानिवृत्ति आदि मांगों के साथ प्रबंध तंत्र के घोटाले की जांच कराने के लिए वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
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रसड़ा कताई मिल को चालू कराने तथा श्रमिकों के देनदारियों को लेकर अंतिम समय तक संघर्ष जारी रखेंगे। श्रमिक शासन सहित उच्च न्यायालय तक संघर्ष कर रहे हैं। निश्चित ही हम लोग एक दिन सफल होंगे।
जेपी वर्मा, अध्यक्ष, श्रमिक संघ, कताई मिल