कोरम पूर्ति तक सिमटा सड़क सुरक्षा सप्ताह अभियान

यदि आप चार पहिया वाहन चला रहे हों तो सीट बेल्ट जरूर बांधें। इसकी अनदेखी आप पर भारी पड़ सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसे में 25 फीसद मौत को सीट बेल्ट बांध कर रोका जा सकता है। यही नहीं वाहन चालक के अलावा पीछे बैठने वालों को भी सीट बेल्ट बांधने की नसीहत दी जाती है पर अफसोस बहुतेरे इसको नजर अंदाज करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 04:59 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 04:59 PM (IST)
कोरम पूर्ति तक सिमटा सड़क सुरक्षा सप्ताह अभियान
कोरम पूर्ति तक सिमटा सड़क सुरक्षा सप्ताह अभियान

जागरण संवाददाता, बलिया: यदि आप चार पहिया वाहन चला रहे हों तो सीट बेल्ट जरूर बांधें। इसकी अनदेखी आप पर भारी पड़ सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसे में 25 फीसद मौत को सीट बेल्ट बांध कर रोका जा सकता है। यही नहीं वाहन चालक के अलावा पीछे बैठने वालों को भी सीट बेल्ट बांधने की नसीहत दी जाती है पर अफसोस, बहुतेरे इसको नजर अंदाज करते हैं। जिसका खामियाजा परिजनों को भुगतना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरुक करने के लिए शुरू किया गया सड़क सुरक्षा सप्ताह भी महज रश्म अदायगी बन कर रह गया है। वाहन चालकों को सुरक्षित यात्रा के लिए सचेत करने की बजाय जिम्मेदार खानापूर्ति कर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। नतीजा, न तो चालक यातायात नियमों के प्रति प्रतिबद्धता दिखा रहा है और न ही आमजन इसे अपना उत्तरदायित्व समझ रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक रोज यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और जिम्मेदार सब कुछ देख कर भी नजर फेर लेते हैं। जिले की सड़कों पर दौड़ने वाले चार पहिया वाहनों की हालत तो और खराब है। इनकी मनमानी यातायात व्यवस्था के लिए चुनौती बनी हुई है। तेज रफ्तार दौड़ते वाहन आए दिन दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि इन वाहनों के नौसिखिया चालक सरेआम नियमों का उल्लंघन करते देखे जा सकते हैं। यहां तक कि इनको डिवाइडर और संकेतकों तक ज्ञान नहीं है। बावजूद सब कुछ ठीक ठाक होने का दावा किया जाता है। यूं तो यातायात व्यवस्था को विकास की लाइफ लाइन कहा जाता है लेकिन अनाड़ी हाथों में पड़ कर यह व्यवस्था राहगीरों के लिए भी खतरा बनती जा रही है। नजीर के तौर पर चार पहिया वाहन चालकों के लिए सीट वेल्ट की व्यवस्था को देखा जा सकता है। सड़क पर दौड़ने वाले चार पहिया वाहनों के अधिकतर चालक बगैर सीट बेल्ट के ही फर्राटा भरते देखे जा सकते हैं। शहर की व्यस्ततम सड़कें हो या दूर दराज का इलाका, चारो ओर एक जैसी स्थिति नजर आती है। फिर भी प्रशासनिक अमला निष्क्रिय बना हुआ है।

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ऐसे कैसे चलेगा काम

एक बार फिर सड़क सुरक्षा सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को अभियान का तीसरा दिन था, पर अफसोस जिला प्रशासन अभी भी कुंभकर्णी नींद में है। तीन दिन बीतने के बाद भी न तो कोई जागरुकता शिविर लगाई गई और न ही इस दिशा में कोई प्रयास ही किया गया। आए दिन हो रहे सड़क हदासों को देख कर भी जिला प्रशासन की तंद्रा नहीं टूट रही है। बात चाहे चार पहिया वाहनों की हो या फिर दो पहिया वाहनों की हर कोई अपने हिसाब से यातायात नियम को परिभाषित करते दिख रहा है। नगर के चित्तू पांडेय चौराहा हो या फिर सतीशचन्द्र कुंवर सिंह चौराहा हर जगह कट मार स्टाइल में चालक फर्राटा भरते दिख जाते हैं फिर भी किसी की नजर नहीं पड़ती। पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली को देखकर लोग अभियान की सफलता पर सवाल करना शुरु कर दिए हैं।

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जुर्माने का प्रावधान भी

यातायात नियम में चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट बांधना जरुरी किया गया है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138 (3) एवं 177 नियम के उल्लंघन पर पुलिस, परिवहन व यातायात विभाग को कार्रवाई का अधिकार देता है। नए मोटर वाहन अधिनियम में जुर्माना की राशि को 100 रुपये से बढ़ा कर एक हजार रुपये तक कर दिया गया है, फिर भी लोगों की तंद्रा नहीं टूट रही है। विभाग भी इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहा है। विभागीय सुस्ती का नाजायज फायदा चालक जमकर उठा रहे हैं।

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सुरक्षित यात्रा के उपाय

-सीट बेल्ट बांध कर ही चार पहिया वाहन चलाएं।

-खुद के अलावा पीछे बैठे लोगों को भी बेल्ट बांधने की सलाह दें।

-अनावश्यक ओवरटेक से बचें।

-गाड़ी के कागजात साथ रखें।

-यातायात संकेतकों का पालन करें।

-नियंत्रित गति में वाहन चलाएं।

-नशे की हालत में गाड़ी न चलाएं।

-गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात न करें।

-यातायात के नियमों का पालन करें।

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