विभागीय लापरवाही से खतरे में कृषि नीति

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : स्थानीय तहसील क्षेत्र में विगत 24 वर्षों से लेखपालों द्वारा घर बैठ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Feb 2017 06:33 PM (IST) Updated:Sat, 25 Feb 2017 06:33 PM (IST)
विभागीय लापरवाही से खतरे में कृषि नीति
विभागीय लापरवाही से खतरे में कृषि नीति

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : स्थानीय तहसील क्षेत्र में विगत 24 वर्षों से लेखपालों द्वारा घर बैठे-बैठे ही कागज में फसलों की पड़ताल कर उसे खसरा में दर्ज करने का धंधा चल रहा है, जिससे खेतों की भौगोलिक एवं कृषि उत्पादन की वास्तविक स्थिति से यहां कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगी है।

विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि जिस आराजी पर वर्षों से आवासीय भवन बना हुआ है, वहां ताजा पड़ताल में खसरा में लहलहाती फसल दर्ज है। जिस खेत में केला, हरा मिर्च व सब्जी की खेती हो रही है, वहां मसूर व गेहूं बोना दिखाया जा रहा है। यह एक क्षेत्र या एक लेखपाल की बात नहीं है बल्कि अधिकांश क्षेत्रों में पिछले 24 वर्षों से कागज में ही फसली पड़ताल करने का नतीजा है। जानकार लोग बताते हैं कि लेखपालों की फसली पड़ताल एक साल में तीन बार किए जाने का प्रावधान है। इसी पड़ताल की रिपोर्ट उपजिलाधिकारी से जिलाधिकारी के पास और जिलाधिकारी से शासन तक पहुंचता है। इसके आधार पर कृषि नीति बनती है। आयात व निर्यात की नीति तय होती है, ¨कतु इस कागजी पड़ताल से सब कुछ गड़बड़झाला में पड़ गया है। जरूरत है कि लेखपाल किसानों के खेतों तक पहुंचे और वास्तविक पड़ताल कर खसरा में दर्ज करें, जिससे भूमि प्रबंधन, क्रय-विक्रय मूल्य व सरकार की अन्य नीतियां निर्धारित हो सके।

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