धान की दो फसल की खेती से मिल रही अच्छी आमदनी

जासं, सिकंदरपुर (बलिया) : भारत गांवों का देश है। जहां का मुख्य पेशा खेती है। यह कृषि भार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Jun 2018 10:26 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jun 2018 10:26 PM (IST)
धान की दो फसल की खेती से मिल रही अच्छी आमदनी
धान की दो फसल की खेती से मिल रही अच्छी आमदनी

जासं, सिकंदरपुर (बलिया) : भारत गांवों का देश है। जहां का मुख्य पेशा खेती है। यह कृषि भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। यहां खेती अधिकाधिक सरकार व प्रकृति पर ही निर्भर है। जिस मौसम में प्राकृतिक आपदा के चलते फसलें मारी जाती हैं उस समय किसान वर्ग बदहाल तो होता ही है। देश की अर्थ व्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि अन्नदाताओं के कड़े परिश्रम के चलते पूर्वापेक्षा उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। तहसील सिकन्दरपुर में क्षेत्र के कोदई गांव निवासी रामजी तिवारी ही संभवत: एकमात्र ऐसे प्रगतिशील किसान हैं, जो खरीफ के मौसम में धान की दो फसली खेती करते हैं। वह पिछले पांच वर्षों से यह खेती कर अच्छी पैदावार व आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उनकी अप्रैल महीने में बोई गई फसल खेत में लहलहा रही है। धान के पौधों में बालियां निकल आई हैं। रामजी तिवारी ने बताया कि गेहूं की कटाई के पूर्व 22 से 30 मार्च के बीच धान की नर्सरी डाल देते हैं। नर्सरी तैयार हो जाने पर 15 अप्रैल तक खेत में उसकी रोपाई कर देते हैं। रोपित धान तैयार हो जाने पर 15 जुलाई तक उसकी कटाई की जाती है। बताया कि इस खेती में खाद व पानी अगली फसल से कम लगता है। साथ ही उच्च ताप के चलते न तो कीट न ही किसी तरह का रोग लगता है। एक बीघा में 8 से 10 कुंतल पैदावार मिल जाती है। वर्तमान और अगली फसल जिसके लिए बीज डाल दिया गया है, दोनों को मिला कर दो सौ प्रतिशत का फायदा होता है। यह भी बताया कि मौसम पूर्व उत्पादित धान की काफी मांग होती है। मूल्य भी अधिक मिल जाता है।

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