चार बछड़ों की मौत के बाद मौके पर हांफते पहुंचा प्रशासन

जिला प्रशासन लाख कवायदें करे लेकिन निराश्रित गो वंशियों परर रोक नहीं लग पा रही है। गो आश्रय केन्द्रों पर तैनात कर्मचारियों को न तो सरकार से भय है और न ही जिला प्रशासन को तबज्जो दे रहे हैं। इसका नतीजा बेसहारा पशुओं को भुगतना पड़ रहा है। गो आश्रय केंद्र हड़सर पर हुई पशुओं की मौत के बाद जिला प्रशासन की नींद तो खुली

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Dec 2019 06:44 PM (IST) Updated:Mon, 02 Dec 2019 06:04 AM (IST)
चार बछड़ों की मौत के बाद मौके पर हांफते पहुंचा प्रशासन
चार बछड़ों की मौत के बाद मौके पर हांफते पहुंचा प्रशासन

जागरण संवाददाता, नवानगर (बलिया): जिला प्रशासन लाख कवायद के बाद भी निराश्रित गो वंशियों की मौत पर रोक नहीं लग पा रही है। गो आश्रय केन्द्रों पर तैनात कर्मचारियों को न तो सरकार का भय है और न ही जिला प्रशासन को तबज्जो दे रहे हैं। इसका नतीजा बेसहारा पशुओं को भुगतना पड़ रहा है। गो आश्रय केंद्र हड़सर पर हुई पशुओं की मौत के बाद जिला प्रशासन की नींद तो खुली लेकिन महज कागजी कोरम पूरा कर जिम्मेदार पल्ला झाड़ लिए। चार बछड़ों की मौत खबर के बाद हरकत में आई एसडीएम अन्नपूर्णा गर्ग व सीवीओ अशोक मिश्रा ने मौके का निरीक्षण किया। उम्मीद थी कि हालात के जिम्मेदार कर्मचारियों पर कड़ाई की लेकिन कागजी खानापूर्ति कर दोनों अधिकारी चलते बने। प्रदेश सरकार द्वारा बेसहारा पशुओं के रख रखाव के लिए न सिर्फ गौ आश्रय केंद्र खोल रखी है बल्कि इनके ऊपर भारी भरकम राशि भी व्यय की जा रही है। साथ ही इनकी देखभाल के लिए बकायदा कर्मचारियों को तैनात किया गया है। बावजूद मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा है। यहां भी जिम्मेदारों की लापरवाही ही बछड़ों की मौत का कारण माना जा रहा है। बावजूद अधिकारियों का खानापूर्ति करना समझ से परे है। रविवार को मौके पर पहुंचे अधिकारीद्वय की जांच में 27 बछड़ों में 18 बछड़े ही मौके पर मौजूद मिले। इनमें पांच की जहां मौत हो चुकी है वहीं अभी भी चार गायब है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो महीने से यहां किसी कर्मचारी को नहीं देखा गया। बावजूद घटना के जिम्मेदारों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि जिम्मेदार तीन बछड़ों की मौत की ही पुष्टि कर रहे हैं।

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