दामोदर की बगिया में पल्लवित हो रहे पौध
-पर्यावरण संरक्षण--- -विभिन्न प्रजाति के पौधों की देखभाल में गुजार रहे सारा समय, औरों के लिए न
-पर्यावरण संरक्षण---
-विभिन्न प्रजाति के पौधों की देखभाल में गुजार रहे सारा समय, औरों के लिए नसीहत
नगरा (बलिया) : वृक्ष धरा का भूषण, दूर करे प्रदूषण। इस जुमले की वास्तविक सच्चाई को समझा है कोठियां ग्राम निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक दामोदर चौहान ने। आज जहां एक तरफ धड़ल्ले से हरे पेडो़ं की कटाई कर पर्यावरण को प्रदूषित करने की कोशिश की जा रही है वहीं दामोदर चौहान पर्यावरण संरक्षण के लिए मिसाल बन गए हैं। पहले उन्होंने स्कूल में बच्चों को शिक्षा प्रदान किया अब रिटायर हाने के बाद पेडों की सुरक्षा व उनकी देख भाल में अपना सारा समय गुजार रहे हैं। उनके बाग की क्षेत्र ही नहीं पूरे जनपद में चर्चा हो रही है।
उनके पिता मटर चौहान ने 60 वर्ष पूर्व करीब पांच बीघे क्षेत्रफल में जो विभिन्न प्रजाति के फलदार पौधों को रोपित किया था आज उनके पुत्र दामोदर की कडी़ मेहनत से पुष्पित व पल्लवित हो रहे हैं। इस बागीचे में लगभग दो सौ तरह-तरह की प्रजाति के आम के पेड़ हैं। आम की प्रजाति में लंगड़ा, चौंसा, फजली, शुक्ला दशहरी के साथ ही कई दर्जन कटहल के पेड़ हैं। इसके अतिरिक्त लीची, नीबू, मोसम्मी, संतरा के भी पौधे हैं। पेड़ों को समय-समय पर पानी देने के लिए बाग के बीच में नलकूप लगा है। दामोदर चौहान की मानें तो प्रतिदिन एक से दो ¨क्वटल आम का फल निकलता है। इस बागीचे ने उन्हें आर्थिक रुप से सु²ढ़ भी किया है। आम खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आ रहे है। दामोदर बताते हैं कि समय समय पर पौधों को पानी दिया जाता है। फल लगने पर कीटों व आंधी ओलों से बचाव के लिए दवा का छिड़काव करता हूं। इसी का परिणाम है कि बाग में जिधर देखिए आम ही आम दिखते हैं। दामोदर के इस बाग सेवा कार्य में उनके साथ परिजन भी हाथ बटाते हैं। दामोदर का कहना है कि कृषि विभाग यदि थोड़ा सा भी मेरा सहयोग करता तो यह बाग जनपद के अच्छे बागों की श्रृंखला में शुमार होता।