पुराना रिंग बांध मिटने की ओर, नया बनाने में भी लापरवाही

By Edited By: Publish:Thu, 24 Jul 2014 12:16 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jul 2014 12:16 AM (IST)
पुराना रिंग बांध मिटने की ओर, नया बनाने में भी लापरवाही

बहराइच: जल स्तर घटने के साथ ही पुराने रिंग बांध पर कटान तेज हो गई है। साथ ही पुराने रिंग बांध का अस्तित्व समाप्त होने की ओर है। पिछली बार बनाए गए रिंग बांध पर खर्च हुआ पैसा अभी मिला नहीं है। इस बार फिर नया बांध बनाने का काम शुरू करा दिया गया है। बिना पैसा मिले ही अधिकारी अपनी गर्दन बचाने को फिर से काम में जुट गए हैं। उपजिलाधिकारी ने निरीक्षण कर नये रिंग बांध को मजबूत करने का निर्देश बाढ़ खंड अधिकारियों को दिया गया है।

फसल अनुसंधान केंद्र घाघराघाट के निकट आदमपुर रेवली बांध से सटे बने रेलवे गाइड तटबंध का लगभग सौ मीटर हिस्सा बीते वर्ष घाघरा नदी ने अपने आगोश में ले लिया था। तब गोंडा बाढ़ खंड के अधिकारियों ने एक रिंग बांध बनाकर पानी फैलने से रोक लिया था। इस वर्ष यह भी रिंग बांध लगभग समाप्त हो चुका है। वर्तमान में कटान के कारण इस रिंग बांध के पीछे 'सेट बैक' गीली मिट्टी द्वारा बनाया गया है जो इधर दो दिनों से काफी कट गया है।

गीली मिट्टी का यह बांध कितने थपेड़े बर्दाश्त कर पाएगा

जरवलरोड : पहला रिंग बांध का अस्तित्व मिटने की ओर है। दूसरा रिंग बांध बनाने का काम शुरू हुआ तो बगल से ही गीली मिट्टी खोद-खोदकर डालना शुरू कर दिया गया है। यह बांध पानी के कितने थपेड़ों को कब तक बर्दाश्त कर पाएगा, यह सवाल है? बताते चलें कि पहले बांध को मिटते देख इस वर्ष छह सौ मीटर लंबा एक दूसरा नया रिंग बांध बनाया जा रहा है। इस पर शुरू में जेसीबी व पोकलैंड मशीनों द्वारा बालू खोद कर डाली जा रही है। अब बालू भी नहीं, बगल से ही गीली मिट्टी डालकर पानी को रोकने की कोशिश की जा रही है। यह कोशिश कितनी सफल होगी, वक्त बताएगा। इस बारे में जब जेई रमेश चंद्र बिंद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो संसाधन मौके पर उपलब्ध है, उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। आसपास मिट्टी है तो उसका इस्तेमाल किया जा रहा है जहां बालू मिलता है तो उसे डलवाया जा रहा है। जबकि बांध निर्माण स्थल के अगल बगल लगभग तीन फीट मिट्टी के बाद नीचे बालू है। बांध का जायजा लेने पहुंचे उपजिलाधिकारी कैसरगंज जेपी सिंह ने बाढ़ खंड अधिकारियों को नये रिंग बांध को शीघ्र मजबूत करते हुए बांधने का निर्देश दिया।

यह चौथा बांध है

जरवलरोड : यह नया रिंग बांध कटान स्थल पर चौथा बांध बन रहा है। यदि पिछले वर्ष पुराने गाइड बांध पर बोल्डर लगाकर मजबूत कर दिया जाता तो इन चार बांधों को बनाने का धन बच जाता। जानकारों का कहना है कि पिछले वर्ष बनाए गए बांध का पैसा अभी तक नहीं मिला है और इस वर्ष भी बाढ़ खंड के अधिकारी अपनी गर्दन बचाने के लिए इसे किसी तरह से बनवा रहे हैं। यदि जलस्तर फिर बढ़ा तो यह रिंग बांध शायद ही पानी रोक पाए। इसके कटने से सैकड़ों गांव व कई हजार की आबादी के साथ रेल यातायात व लखनऊ-गोंडा राजमार्ग भी प्रभावित होगा, परन्तु शासन-प्रशासन के लोग इसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर रहे हैं।

थमी घाघरा की रफ्तार, लाल निशान से 15 सेमी नीचे पहुंची धारा

महसी : बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद रौद्र हुई घाघरा की लहरों की गति बुधवार को मंद पड़ने लगी। जलस्तर घटने के बाद जलमग्न गांवों से पानी नदी की ओर सिमटने लगा हैं। पानी की रफ्तार कम होने के बाद जहां बाढ़ से पभावित गांवों के बाश्िदों ने राहत की सांस ली वहीं कटान प्रभावित गांवों में खतरा बढ़ गया है। घूरदेरवी स्थित स्पर पर नदी का जलस्तर 112 मीटर रिकार्ड किया गया जो खतरे के निशान से 15 सेमी कम है।

बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद विकराल रूप अपना चुकी घाघरा की लहरें बुधवार को शांत होने लगी। जलस्तर तेजी से घट रहा है। बुधवार की शाम घूरदेवी स्थित स्पर पर नदी का जलस्तर 112 मीटर रिकार्ड किया गया। मंगलवार को यहां पर नदी का जलस्तर 112. 215 रिकार्ड किया गया था। नदी खतरे के निशान से 15 सेमी नीचे बहने लगी है। पिपरा, पिपरी, कोढ़वा, कायमपुर, जर्मापुर, सुकईपुर, रानीबाग, तारापुरवा, कुट्टी, छत्तरपुरवा, जुगलापुरवा, बाहरपुर सहित बाढ़ से घिरे दर्जनों गांवों से पानी का दायरा सिमटने लगा है। सरयू परियोजना खण्ड प्रथम के सहायक अभियन्ता आर के श्रीवास्तव ने बताया घाघरा में पानी का डिस्चार्ज कम हुआ है। नदी का जलस्तर तेजी से घट रहा है। जलस्तर कम होने के बाद पिपरी व माझादरिया गांव के लोगों की धड़कनें बढ़ गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नदी का जलस्तर कम होने के बाद लहरें तेजी से कटान शुरू करती हैं। पिपरी गांव के आधे से अधिक मकान पहले ही लहरों की भेंट चढ़ चुके हैं।

स्टीमर की होगी मरम्मत

महसी : सिलौटा स्थित घाघरा तट पर रखे राजस्व विभाग के दो स्टीमर खराब हो गए थे। तहसीलदार लव कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ कम हो रही है। नावों की पर्याप्त व्यवस्था है बावजूद इसके दोनों स्टीमरों की मरम्मत कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि मरम्मत के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। अतिशीघ्र मरम्मत का कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

chat bot
आपका साथी