कोरोना काल में बढ़ गया गन्ना रकबा
किसानों का गन्ना फसल से मोह कम नहीं हो रहा है।
बागपत, जेएनएन। किसानों का गन्ना फसल से मोह कम नहीं हो रहा है। गन्ना फसल का रकबा कम होने के बजाय बढ़ गया। बागपत के सभी 282 गांव और आठ कस्बों की गन्ना सर्वे पूरा हो चुका है। बागपत में रिकार्ड पांच फीसद यानी 3600 हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है। गन्ना रकबा बढ़ने से अधिकारियों और किसानों की टेंशन भी बढ़ गई है। उन्हें चिंता है कि चीनी मिलें क्षमता से ज्यादा पेराई करेंगी या नहीं।
लॉकडाउन में तीन माह गुड़ मंडियां बंद रहने से किसानों को कोल्हू-क्रेशरों पर औने-पौने दाम पर गन्ना बेचना पड़ा था। हर कोई यह मानकर चल रहा था कि गन्ना रकबा घटेगा। इसके बावजूद गन्ना रकबा बढ़ गया। अब 75 हजार 600 हेक्टेयर पर गन्ना फसल खड़ी है। पिछले साल 72 हजार हेक्टेयर जमीन पर गन्ना फसल थी। यानी 3600 हेक्टेयर गन्ना रकबा बढ़ गया है। साफ है कि गन्ना रकबा बढ़ने से चीनी मिलों पर लोड बढ़ने के साथ किसानों को भी गन्ना बेचने में दिक्कत उठानी होगी।
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हो सकती है गन्ना
बिक्री में दिक्कत
-गत सत्र में 14 चीनी मिलों ने बागपत के किसानों से चार करोड़ कुंतल से ज्यादा गन्ना पेराई की। सहकारी चीनी मिल बागपत तथा रमाला को जून तक चलानी पड़ी जिससे चीनी परता कम आने से मोटा घाटा हुआ। इसके बावजूद किसानों को दो करोड़ कुंतल गन्ना कोल्हू-क्रेशरों पर सस्ते में लुटाना पड़ा था। अब गन्ना रकबा में बढ़ने से पेराई की दिक्कत आ सकती है।
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इन्होंने कहा..
सभी गांव और कस्बों में गन्ना सर्वे का काम पूरा हो गया है। बागपत में पांच फीसद गन्ना एरिया बढ़ गया है।
-डा. अनिल कुमार भारती-डीसीओ।