तीन पीढि़यों से निभा रहे कौशल्या का रोल

बागपत का एक परिवार ऐसा है जिसकी तीन पीढि़या रामलीला में भगवान राम लक्ष्मण और कौशल्या का रोल निभाने का कीर्तिमान कायम कर चुकी है। वर्तमान में ठाकरद्वारा मंदिर बागपत की रामलीला में कौशल्य का रोल निभा रहे सुजीत लेखरा दिल्ली में नौकरी करते हैं। वह रामलीला शुरू होने से एक सप्ताह पहले ही छुट्टी लेकर भगवान राम भरत अंगद लक्ष्मण और कौशल्या आदि का रोल निभाने के अभ्यास में जुट जाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Sep 2019 10:40 PM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 06:24 AM (IST)
तीन पीढि़यों से निभा रहे कौशल्या का रोल
तीन पीढि़यों से निभा रहे कौशल्या का रोल

बागपत, जेएनएन। एक परिवार ऐसा है, जिसकी तीन पीढ़ी रामलीला में भगवान राम, लक्ष्मण और कौशल्या का रोल निभाने का कीर्तिमान कायम कर चुकी है। वर्तमान में इस परिवार के ठाकुरद्वारा मंदिर बागपत की रामलीला में कौशल्या का रोल निभा रहे सुजीत लखेरा दिल्ली में नौकरी करते हैं। वह रामलीला शुरू होने से एक सप्ताह पहले ही छुट्टी लेकर भगवान राम, भरत, अंगद, लक्ष्मण और कौशल्या आदि का रोल निभाने के अभ्यास में जुट जाते हैं। बोले कि पहले दादा किशन लखेरा और उनके निधन के बाद पिता श्रीनिवास लेखरा रामलीला में रोल करते थे। पिता के निधन के बाद वह बीस साल से रामलीला का रोल कर रहे हैं। हम रोजी रोटी के लिए नहीं बल्कि श्री राम की भक्ति के लिए रामलीला में डूब जाते हैं। रामलीला के जरिए जहां हिदू संस्कृति को युवाओं को अहसास कराते हैं वहीं एक-एक इंच जमीन पान को आपस में लड़ने मरने वाले कलयुगी भाईयों को भी राम-भरत जोड़ी की मिसाल देकर प्यार का संदेश देते हैं।

शिवम शर्मा भी जॉब करते हैं लेकिन दस साल से रामलीला में किसी ने किसी किरदार की भूमिका निभाते रहे हैं। फिलहाल बाणासुर का रोल निभा रहे शिव शर्मा बताते हैं कि आशीष रुहेला, आकाश फौजदार, महेश जौंटी, दिनेश चौहान तथा नीरज भंवरिया समेत 20 कलाकार रामलीला मंचन करते हैं। रामलीला के जरिए लोगों तक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्श पहुंचाकर चरित्रवान बनने तथा सोशल मीडिया की गलत संस्कृति से बचने को प्रेरित कर धार्मिक बनान का प्रयास करते हैं।

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121 साल पुरानी रामलीला

श्री रघुवर रामलीला समिति के अघ्यक्ष संजय रुहेला तथा महामंत्री महेश जौंटी बताते हैं कि ठाकुरद्वारा मंदिर बागपत में 121 साल से रामलीला का मंचन हो रहा है।

रामलीला में सभी जातियों का सहयोग है। पहले सरसों के तेल के दीये, फिर मिट्टी तेल की लालटेन रोशनी में रामलीला मंचन होता था। अब हाईमास्क लाइट तथा बेहतरीन साउंड के जरिए रामलीला का मंचन होता है।

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