श्रीकृष्ण के प्रिय कदंब के दरख्तों से संवर रहा बाणगंगा
महाभारतकालीन बरनावा से ढाई किमी की दूरी पर ¨हडन नदी की तीरे बसा शाहपुर में कदंब के पेड़ो से पर्यावरण सुधर रहा है।
बागपत, जेएनएन। महाभारतकालीन बरनावा से ढाई किमी की दूरी पर ¨हडन नदी की तीरे बसा शाहपुर बाणगंगा गांव भगवान श्रीकृष्ण के अतिप्रिय कदंब के पौधों से संवर रहा है। पर्यावरण संस्था हरित प्राण ट्रस्ट की प्रेरणा से सजग हुए ग्रामीणों की सहभागिता से महज तीन साल में 300 पौधे दरख्त बनकर पर्यावरण का जहर पीकर जीवनदायिनी हवा घोल रहे हैं। अमूमन गांव का हर तीसरा-चौथा घर कदंब के पेड़ की घनी छाया से आच्छादित है। ---- वरदान मानकर कर रहे पूजन-अर्चन करीब 4500 की आबादी वाले छोटे से गांव शाहपुर बाणगंगा की उपलब्धि पूरे जिले के लिए प्रेरणादायी है। यहां करीब 1100 परिवार रहते हैं। हर तीसरे-चौथे घर के आंगन में कदंब का भराभूरा पेड़ देखा जा सकता है। हरित प्राण संस्था से जुड़े ग्रामीण बिजेंद्र ¨सह बताते हैं कि तीन साल पहले गांव में कदंब के पौधे रोपे थे, जो तेजी से बढ़ने शुरू हो गए। इनकी ग्रोथ को देखते हुए हरित प्राण संस्था ने ग्रामीणों को निशुल्क कदंब के पौधे बांटे, जो लोगों ने अपने घर के आंगन में रोपे। ग्रामीण भगवान श्रीकृष्ण का वरदान मानकर तीज-त्योहार पर इसका पूजन-अर्चन करते हैं। ---- कदंब का है आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक महत्व -आयुर्वेदाचार्य डा. अनुराग मित्तल बताते हैं कि कदंब का फल व पत्ते चर्म रोग, घाव, अतिसार, सूजन, मधुमेह, मोटापा, कृमि रोग नाशक आदि रोगों को ठीक करने में उपयोगी हैं। इसकी छाल को उबालकर पीने से कई रोगों का नाश होता है। ---- पांच सालों में लगाए डेढ़ लाख पौधे -पेशे से चिकित्सक हरित प्राण संस्था के अध्यक्ष डा. दिनेश बंसल पौधों का रोपण और निशुल्क वितरण करते हुए जहरीली हो रही आबोहवा को सुधारने की मुहिम छेड़े हैं। बड़ौत शहर में उनके हॉस्पिटल मैनावती में आने वाले प्रत्येक मरीज को निशुल्क पौधा भेंट किया जाता है। गत पांच सालों के अभियान में डेढ़ लाख पौधे लगा चुके हैं। इसके अलावा हरित एंबुलेंस के जरिए बीमार पौधों का उपचार, निराई-गुड़ाई, नाले-सड़क आदि के बीच आने वाले पेड़ों का रेसक्यू कर रहे हैं। अब तक उनकी मुहिम के साथ हजारों लोग जुड़ चुके हैं।