हौसले की फिजां में गूंजी कामयाबी की 'कविता'

मनोज कलीना, बिनौली (बागपत): बस यूं ही एक दिन वह गांव की व्यायामशाला में चली गईं। वेटलिफ्टर प्रेक्

By Edited By: Publish:Sat, 09 Apr 2016 11:25 PM (IST) Updated:Sat, 09 Apr 2016 11:25 PM (IST)
हौसले की फिजां में गूंजी कामयाबी की 'कविता'

मनोज कलीना, बिनौली (बागपत):

बस यूं ही एक दिन वह गांव की व्यायामशाला में चली गईं। वेटलिफ्टर प्रेक्टिस कर रहे थे। वह दिन महज खेल देखने सरीखा था। एक दिन मौका पाकर उन्होंने उस वेट को उठा लिया, जिसे कोई युवक भी नहीं उठा पा रहा था। देखने वाले दंग और हरेक के मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ा कमाल। बस उसी दिन ठान ली वेटलि¨फ्टग जैसे पावर गेम में करियर बनाने की। आमतौर पर ऐसे खेलों में लड़कियों के कदम रोक दिए जाते हैं। फिर शादी के बाद तो उनके लिए ससुराल में बड़ी चुनौती थी। पर, सास-ससुर और ननद ने हौसला अफजाई की तो पति ने आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया। मेहनत और लगन का 'मंच' सजा था। हौसले के कदम जैसे ही इस पर पड़े, फिजां में कामयाबी की 'कविता' गूंज उठी। हरियाणा वाले अपनी बेटी की कामयाबी पर फूले नहीं समाते तो यूपी वालों का सीना अपनी बहू को सफलता पर चौड़ा है।

उठा दिया लड़कों से ज्यादा वजन

हरियाणा के जींद जनपद के माल्वी गांव में किसान ओमप्रकाश के घर जन्मीं कविता का बचपन से ही कबड्डी और कुश्ती जैसे खेलों की तरफ रुझान था। स्कूली शिक्षा के दौरान ही पदक जीतने शुरू कर दिए। इसी दौरान गांव की व्यायामशाला में कुछ युवकों को वजन उठाते देखा तो उन्हें भी भारोत्तोलन का शौक लग गया। एक दिन लड़कों से ज्यादा वजन उठाकर उन्होंने सबको अचंभित किया। इसके बाद शुरू हो गया कामयाबी का सफर।

ऐसे शुरू किया करियर

साल 2002 में कविता ने साई हास्टल लखनऊ में ट्रायल दिया। सर्वाधिक वजन उठाने पर उनका चयन हो गया। साल 2006 में आल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर स्वर्णिम करियर की शुरुआत करने वाली कविता ने साल 2007 में नेशनल चैंपियनशिप में भी सोना जीता।

सास-ससुर ने किया प्रोत्साहित एसएसबी में खेल कोटे से कांस्टेबल के पद पर नियुक्त हुई कविता वर्ष 2009 में बागपत के बिजवाड़ा गांव के वालीबाल के नेशनल खिलाड़ी गौरव तोमर से परिणय सूत्र में बंध गई। हो सकता था कि किसी दूसरे के लिये शादी करियर का विराम बन जाता, क्योंकि गांव-देहात में लड़कियों के इस तरह के खेल पर सवाल उठाये जाते हैं, फिर कविता तो गांव की बहू थीं। उनकी सास उमा रानी, ससुर विजेंद्र ¨सह, ननद रूबी तोमर ने उन्हें रोकने के बजाय हमेशा प्रोत्साहित किया।

अपने भारवर्ग में झटका सोना

कविता ने गत फरवरी माह में गुवाहटी में हुए दक्षिण एशियाई खेल में नौ देशों के प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ते हुए 75 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इस समय कविता पटियाला में चल रहे नेशनल कैंप में पसीना बहा रही हैं। वह 18 अप्रैल को कजाकिस्तान एशियन वेटलि¨फ्टग चैंपियनशिप में भाग लेंगी। इस प्रदर्शन के आधार पर उनका ओलंपिक का टिकट पक्का होगा।

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कविता की कामयाबी का 'राग'

-2006 आल इंडिया यूनिवर्सिटी में स्वर्ण।

-2007 नेशनल वेटलि¨फ्टग चैंपियनशिप में स्वर्ण।

-2008 नेशनल वेटलि¨फ्टग चैंपियनशिप में स्वर्ण।

-2010 में नेशनल वुशू चैंपियनशिप में स्वर्ण।

-2011 में राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण।

-2013 में नेशनल भारोत्तोलन में स्वर्ण।

-2014 में नेशनल भारोत्तोलन में स्वर्ण।

-2015 में राष्ट्रीय खेल केरल में स्वर्ण।

-2016 में सार्क गेम्स में स्वर्ण।

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