पराली न जलाएं, दूषित होता है पर्यावरण

कृषि विज्ञान केंद्र में फसल अवशेष प्रबंधन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 12:13 AM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 12:13 AM (IST)
पराली न जलाएं, दूषित होता है पर्यावरण
पराली न जलाएं, दूषित होता है पर्यावरण

उझानी : कृषि विज्ञान केंद्र में फसल अवशेष प्रबंधन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया। जिसमें बिल्सी परौली, बुटला दौलत, रघुनाथपुर, जजपुरा, बैरमई, पृथ्वी नगला आदि गांवों के लगभग 25 किसानों ने प्रतिभाग किया। कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ.आरपी ¨सह ने परियोजना पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि फसल अवशेष को जलाना एक गंभीर समस्या है। फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण में धुंए की चादर फैल जाती है। जिससे जिले व प्रदेश में अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉ.एसबी ¨सह ने प्रभारी अधिकारी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र उझानी ने रबी की फसलों की उत्पादन तकनीकि व आधुनिक कृषि यंत्रों का फसल अवशेष प्रबंधन की विस्तार से जानकारी दी। डॉ.एके चौबे ने एकीकृत पोषण प्रबंधन एवं मृदा स्वास्थ्य के बारे में कृषकों को प्रशिक्षण दिया। डॉ.संजय कुमार ने कृषकों को अवशेष प्रबंधन के बारे में समझाया। डॉ.एसपी ¨सह, डॉ.आनंद प्रकाश, डॉ.विमल कुमार ¨सह, आशीष अग्रवाल, आलोक सक्सेना आदि मौजूद रहे।

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