नाला सफाई अभियान सिमटा कागजों में

गंदगी से बजबजाते नालों ने शहर की स्थिति नारकीय कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Jun 2018 01:20 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jun 2018 01:20 AM (IST)
नाला सफाई अभियान सिमटा कागजों में
नाला सफाई अभियान सिमटा कागजों में

बदायूं : गंदगी से बजबजाते नालों ने शहर की स्थिति नारकीय कर दी है। नगरपालिका का नाला सफाई अभियान टांय-टांय फिस्स होकर रह गया है। जगह-जगह नाले नालियां चोक होने गंदा पानी घरों में घुस रहा है। सड़क व फुटपाथों पर पानी भरने से राहगीरों को भी परेशानियां झेलनी पड़ रहीं है। पुरानी चुंगी से लेकर शहवाजपुर तक जाने वाले नाले में बेशुमार गंदगी व कूड़ा कचरा होने से नाला चोक हो गया है। जिससे पुरानी चुंगी, लोची नगला, कल्यान नगर, शहबाजपुर आदि मुहल्लों में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। शहर में व्याप्त गंदगी व नालों में बजबजाता कूड़ा करकट शहर की पहचान बनता जा रहा है। पीएम मोदी का स्वच्छता अभियान शहर में औंधे मुंह गिरता नजर आ रहा है। पुरानी चुंगी तिराहे व उसके आसपास इलाके में गंदगी के बड़े-बड़े अंबार लगे हैं। नाले से निकलने वाली गंदगी उफना कर मेनरोड पर पड़ी मुंह चिढ़ाती रहती है। लोगों की शिकायतों के बाद भी नगरपालिका ने नाले की सफाई की जहमत नहीं उठाई है। गंदगी की वजह से नाले के आसपास स्थित मुहल्लों में मच्छरों का भयंकर प्रकोप बढ़ गया है। लंबे अरसे में नाले में कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं हुआ है। फैक्ट फाइल -

नाले की लंबाई - 250 मीटर

नाले की चौड़ाई- 01 मीटर

प्रभावित मुहल्ले - शहबाजपुर, लोचीनगला, कल्यान नगर, पुरानी चुंगी नाला सफाई अभियान सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गया है। जिससे धरातल पर सफाई दिखाई नहीं देती। नगरपालिका प्रशासन लगातार स्थानीय बा¨शदों की उपेक्षा कर रहा है।

- फैजान नाले में भयंकर गंदगी होने से मलेरिया, डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियां फैलने लगी है। मच्छरों के प्रकोप बढ़ने से लोगों की रात की नींद गायब हो गई है। वहीं बीमारियों के चपेट में आने से लोग डाक्टरों के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं।

- आशाराम सफाई अभियान के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। सफाई कर्मचारी कभी कभार आकर नाले में निकलने वाली सिल्ट नाले के बाहर ही छोड़कर चले जाते हैं।

- नीरज शर्मा

नाला चोक होने से मुहल्ले में जगह-जगह जलभराव हो गया है। जिससे मुहल्ले वालों को निकलने में भारी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। नगरपालिका प्रशासन से इस बारे में कई बार शिकायत भी की गई। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।

- अमर ¨सह कश्यप

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