थानाध्यक्ष पर लगाया दुराचार के प्रयास का आरोप

एक युवती ने हिरासत के दौरान महराजगंज के पूर्व थानाध्यक्ष पर दुराचार का प्रयास समेत कई संगीन आरोप लगाया। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर तत्कालीन थानाध्यक्ष

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 08:39 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 06:01 AM (IST)
थानाध्यक्ष पर लगाया दुराचार के प्रयास का आरोप
थानाध्यक्ष पर लगाया दुराचार के प्रयास का आरोप

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : एक युवती ने हिरासत के दौरान महराजगंज के पूर्व थानाध्यक्ष पर दुराचार के प्रयास समेत कई संगीन आरोप लगाया है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर तत्कालीन थानाध्यक्ष व दो सगे भाइयों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। वहीं एसपी ग्रामीण ने कहा कि थानाध्यक्ष पर लगाया गया आरोप झूठा मिलने पर उनका नाम मुकदमे से निकाल दिया गया।

महराजगंज थाना क्षेत्र की एक युवती ने सात दिसंबर को महराजगंज थाने पर थानाध्यक्ष अनवर अली खां के साथ ही गांव के ही निवासी गोविद यादव व उसके बड़े भाई अरविद यादव पुत्रगण इंद्रदेव यादव के खिलाफ दुराचार, दुराचार के प्रयास समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। महराजगंज थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की बात को पुलिस ने छिपा लिया था। इधर पीड़ित युवती के स्वजन की ओर से सोशल मीडिया पर दर्ज मुकदमे के एफआइआर की कापी जब वायरल हुई तो उसे देखकर लोग सन्न रह गए। एफआइआर में पीड़िता ने उल्लेख किया है कि आरोपित गोविद शादी का झांसा देकर उसे अपने साथ भगाकर 28 सितंबर की रात को अपने साथ मुंबई लेकर गया। वहां पर एक कमरे में उसने चार दिन तक उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद गोविद के बड़े भाई ने आकर कहा कि यह शादी नहीं होगी। अरविद ने भी उसके साथ दुराचार किया। दोनों भाई उसे लेकर मुंबई से मऊ अपने किसी परिचित के घर आ गए। मऊ में भी दोनों भाइयों ने दुराचार किया। वहां से महराजगंज क्षेत्र के कटान गांव लेकर आए और बंधक बनाकर उसके साथ दो दिन दुराचार किया। 11 नवंबर को दोनों भाई उसे थाने पर पहुंचाकर भाग गए। तत्कालीन थानाध्यक्ष अनवर अली ने उसे तीन दिन तक थाने में हिरासत में लेकर रखा था। युवती का आरोप है कि तत्कालीन थानाध्यक्ष ने भी उसके साथ दुराचार का प्रयास किया। जब मामला एसडीएम सगड़ी के संज्ञान में आया तो पुलिस ने उसे घर पहुंचा दिया। इतना ही नहीं स्वजनों ने एसओ के इस कुकृत्य का जब विरोध किया तो थानाध्यक्ष ने घर आकर स्वजनों को मारपीट कर तोड़फोड़ करते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया। इस संबंध में एसपी ग्रामीण ने कहा कि एसओ के खिलाफ लगाया गया आरोप झूठा पाया गया। इसलिए पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उनका नाम एफआइआर से निकाल दिया। उन्होंने तत्कालीन एसओ के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने की बात से इंकार किया।

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