परंपरागत बाजार का स्थान नहीं ले सकता ऑनलाइन शॉपिग

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सुदर्शन शोध संस्थान एवं पीआर नीति के संयुक्त तत्वावधान में 'कोविड-19 के दौ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Jun 2020 06:53 PM (IST) Updated:Mon, 08 Jun 2020 06:53 PM (IST)
परंपरागत बाजार का स्थान नहीं ले सकता ऑनलाइन शॉपिग
परंपरागत बाजार का स्थान नहीं ले सकता ऑनलाइन शॉपिग

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सुदर्शन शोध संस्थान एवं पीआर नीति के संयुक्त तत्वावधान में 'कोविड-19 के दौर में भारतीय बाजार में धन प्रवाह' विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने विषय पर विस्तार से चर्चा की।

दिल्ली के युवा उद्यमी मुदित कुचेरिया ने कहा कि कोविड-19 के दौर में नकदी लेनदेन की तुलना में ऑनलाइन धन प्रवाह बढ़ा है। ऑनलाइन पेमेंट परंपरागत लेनदेन से अधिक सुविधाजनक है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। ऑनलाइन मार्केटिग के जरिए आदिवासियों द्वारा निíमत उत्पाद को पूरी दुनिया के सामने पहुंचाया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के फेलो डॉ. अबोध कुमार ने कहा कि भारत में परम्परागत बाजार का स्थान ऑनलाइन शॉपिग नहीं ले सकता। इसका एक सीमित क्षेत्र है, लेकिन परंपरागत बाजार शहर से लेकर गांव देहात में आज भी फल-फूल रहा है। पेयु कंपनी के अनुराग प्रताप सिंह ने कहा कि इस महामारी के दौरान लोगों ने यात्राएं बंद कर दी, होटल बंद हो गए, लग्जरी चीजों में पैसा खर्च करना लोगों ने बंद कर दिया, लेकिन अपने आवश्यकता की वस्तुओं का उपभोग जारी रखा। इस दौर में बड़े स्तर पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हुआ है, क्योंकि लोगों के बीच दूरियां बढ़ गई थीं और बिना संपर्क में आए ऑनलाइन माध्यम से ही धन प्रवाह संभव है। गांधी पीजी कॉलेज के डॉ. कौशलेंद्र मिश्र ने कहा कि कोविड-19 के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में धन प्रवाह की समस्या देखने को मिली। ग्रामीण जनता डिजिटल पेमेंट के प्लेटफॉर्म से अभी पूरी तरह जुड़ी नहीं है। उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड का खतरा भी सताता है।

chat bot
आपका साथी