Surya Tilak: आसान नहीं था रामलला का सूर्य तिलक, इस क्षण को इंजीनियरों ने ऐसे किया पूरा, प्रभु भक्ति में डूबे रामभक्त

Ayodhya Ram Navami Surya Tilak श्रीराम का सूर्य देव से गहन संबंध है वह उसी वंश के हैं जिसका प्रवर्तन सूर्य देव ने किया था। पहले माना जा रहा था कि मंदिर के तीनों तलों का निर्माण होने के बाद ही रामलला का सूर्य तिलक संभव होगा किंतु नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के अभियंताओं के प्रयास से ‘शुभस्य शीघ्रम’ की भावना फलीभूत हुई।

By Jagran NewsEdited By: Swati Singh Publish:Wed, 17 Apr 2024 08:46 PM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2024 08:46 PM (IST)
Surya Tilak: आसान नहीं था रामलला का सूर्य तिलक, इस क्षण को इंजीनियरों ने ऐसे किया पूरा, प्रभु भक्ति में डूबे रामभक्त
आसान नहीं था रामलला का सूर्य तिलक, इंजीनियरों ने ऐसे किया ये अविस्मरणीय काम

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  • आसान नहीं था रामलला का सूर्य तिलक
  • इंजीनियरों ने ऐसे किया ये अविस्मरणीय काम

जागरण संवाददाता, अयोध्या। श्रीराम का सूर्य देव से गहन संबंध है, वह उसी वंश के हैं जिसका प्रवर्तन सूर्य देव ने किया था। बुधवार को जन्मोत्सव के अवसर पर श्रीराम का अपने पितृ पुरुष से सरोकार नए सिरे से परिभाषित हुआ, जब दिव्य-भव्य मंदिर में ऊपरी तल से भूतल तक दर्पण-दर्पण घूमती-टहलती दृश्यमान देवता दिवाकर की किरणें मध्याह्न रामलला के ललाट पर सुशोभित हुईं।

टकटकी लगाए लाखों नयन प्रसन्नता से छलक उठे। रोम-रोम पुलकित हो उठा। करोड़ों राम भक्तों की आंखें इस अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय पल को सहेजने में लगी थीं। किसी ने इस छड़ को वहां मौजूद रह कर देखा, तो कईयों ने टीवी पर इसे देखा।

वैज्ञानिकों के प्रयास से संभव हुआ असंभव कार्य

पहले माना जा रहा था कि मंदिर के तीनों तलों का निर्माण होने के बाद ही रामलला का सूर्य तिलक संभव होगा, किंतु नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के अभियंताओं के प्रयास से ‘शुभस्य शीघ्रम’ की भावना फलीभूत हुई और भूतल में विराजे रामलला का सूर्य तिलक बुधवार को ही संभव हुआ।

यह बहुत आसान नहीं था, क्योंकि पृथ्वी की गति के हिसाब से सूर्य की दिशा तथा कोण को समन्वित करके किरणों को उपकरणों के माध्यम से ऊपरी तल से रामलला के ललाट तक पहुंचाना था। अंततोगत्वा वैज्ञानिक सफल हुए और पूर्व निर्धारित समय पर सूर्य किरणें रामलला के ललाट तक पहुंचीं और 75 मिलीमीटर लंबे तिलक के रूप में बिंबित होती रहीं। इस दृश्य को देखकर श्रद्धालु बच्चों की तरह किलक उठे। बाल, वृद्ध, नारी सब एक ही भाव में थे।

रामलला को धारण कराए गए थे नए उत्सव वस्त्र

वैसे प्रातः मंगला आरती से ही उत्सव का वातावरण था। रामलला को मंगल स्नान करा कर विशेष रूप से तैयार किए गए नए उत्सव वस्त्र धारण कराए गए। रामलला को छप्पन भोग लगाया गया। इन पकवानों को कारसेवकपुरम में ही शुद्धता के साथ तैयार कराया गया था।

श्रद्धालुओं को मिली धनिया की पंजीरी

बाहर आते श्रद्धालुओं को धनिया की पंजीरी समेत अन्य प्रसाद भेंट किया गया। प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। जगह-जगह लगी एलईडी स्क्रीन पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने सूर्य किरणों से महामस्तकाभिषेक समेत जन्मोत्सव का सीधा प्रसारण देखा।

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